Book Title: Aspect of Jainology Part 2 Pandita Bechardas Doshi
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 13
________________ iv ११७ १२३ १७१ : श्री रैवतगिरितीर्थ स्तोत्रम् ( नागरी ) २४. पं० बाबुभाई सवचन्द शाह : श्री विजयचन्द्रसूरिविरचित "श्री रैवताचल चैत्यपरिपाटी स्तवन" श्री रैवताचलचैत्यपरिपाटीस्तवनम् ( नागरी) . १२० २५. स्व० अगरचन्द नाहटा :जयतिलकसरि विरचित "श्री गिरनार चैत्य प्रवाडी" मधुसूदन ढांकी २६. विधात्री वोरा : गिरनार चेत्तप्रवाडि १२८ २७. मधुसूदन ढांकी, : श्री गिरनार चेत्त परिवाडी विधात्री वोरा १३३ २८. विधात्री वोरा : गिरनार चैत्य प्रवाडि विनति १४१ २९. विधात्री वोरा : अज्ञातकर्तृक "नेमिनाथ भास" ३०. कनुभाई ७० शेठ : कवि केशवकृत नेमिनाथ फाग १५० ३१. विधात्री वोरा : अज्ञात कर्तृक "श्री गिरनार चैत्य परिपाटी रास" १६७ ३२. स्व० अगरचन्द नाहटा : रंगसारकृत "गिरनार चैत्यपरिपाटी" पं० बाबुभाई सवचन्द शाह ३३. मधुसूदन ढांकी : कर्णसिंहकृत गिरनारस्थ "खरतरवसही"-गीत १७५ ३४. लक्ष्मणभाई भोजक : जूनागढनी अम्बिकादेवीनी धातुप्रतिमानो लेख १७९ ३५. लक्ष्मणभाई भोजक : उज्ज्यन्तगिरिनो एक खण्डित अप्रकाशित प्रशस्तिलेख ३६. मधुसूदन ढांकी, : उज्ज्यन्तगिरिना केटलाक अप्रकट उत्कीर्ण लेखो लक्ष्मण भोजक ३७. मधुसूदन ढांकी, : उज्ज्यन्तगिरिना पूर्व प्रकाशित अभिलेखो विषे लक्ष्मण भोजक १९२ ३८. मधुसूदन ढांकी : उज्ज्यन्तगिरिनी खरतर-वसही २१२ ३९. मधुसूदन ढांको : गिरनारस्थ “कुमारविहार"नी समस्या २२३ ४०. मुनि शोलचन्द्र विजय : “पालिताणा-कल्पसूत्र"नी जैन चित्रकला पर विशेष प्रकाश२२७ HINDI SECTION १. के० आर० चन्द्र : आचारांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध में स्वीकृत कुछ पाठों की समीक्षा २. सागरमल जैन : रामपुत्त या रामगुत्त : सूत्रकृताङ्ग के सन्दर्भ में मधुसूदन ढांकी ३. कानजी भाई पटेल : जैन दार्शनिक साहित्य में ज्ञान और प्रमाण के समन्वय का प्रश्न ४. भिखारी राम यादव जैन सप्तभङ्गी : आधुनिक तर्कशास्त्र के सन्दर्भ में ५. भागचन्द जैन भास्कर : जैन एवं बौद्ध तत्त्वमीमांसा : एक तुलनात्मक अध्ययन ६. मधुसूदन ढांकी : श्वेताम्बर जैन साहित्य की कुछ अनुपलब्ध रचनायें १८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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