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A 2.8
Jha, Parmeshwar : Jaina Astronomical Texts belonging to the Pre-Siddhāntic Period of Ancient India, 2(2), 5-10
A 2.9 Michiwaki, Yoshimasa : On the Resemblance of Indian, Chinese and Japanese
Mathematics, 2 (2), 11-15 A 2.10 जैन, लक्ष्मीचन्द्र : ब्राह्मी लिपि का आविष्कारक एवं आचार्य भद्रबाहु मुनि संघ, 2 (2), 17-26 A2.11 जैन, रत्नलाल : कर्म की विचित्र गति - मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य में, 2 (2), 27-37
A 2.12 Shastri, T.V.G. : Jaina Eras and their Chronology, 2(2), 39-43
A2.13 Lal, G.Jawahar : History of Medieval Jainism in Telgudesa, 2(2), 45-47 A 2.14 Narsimhamurthy,A.V. : Siri Bhuvalaya (Bhoovalaya) of Kumudendu, 2(2), 49-53 A2.15 जैन, लक्ष्मीचन्द्र एवं जैन, चक्रेश कुमार : जम्बूद्वीप परिप्रेक्ष्य - दिगम्बर जैन मान्यताएँ और आधुनिक सन्दर्भ
2 (2), 55-62 A2.16 जैन, लक्ष्मीचन्द्र : ब्राह्मी लिपि का आविष्कारक एवं आचार्य श्री भद्रबाह मुनि संघ - 2, 2 (3), 1-11 A2.17 अग्रवाल, पारसमल : जैन दर्शन एवं आधुनिक विज्ञान (व्यवहार पल्य का गणित एवं आधुनिक अणु विज्ञान),
2 (3), 13-19 A2.18 जैन, नीलम : वर्तमान की आवश्यकता - जैनागम का वैज्ञानिक विश्लेषण, 2 (3), 21-22 A 2.19 जैन, अभय प्रकाश : अशोक संवत् : कुछ तथ्य, 2 (3), 23-26 A 2.20 Jain, Sneh Rani : On Certain Concepts of Time in Pharmaccutical and Religious Studies,
2 (3), 27-38 A 2.21 Hanumatharao, B.S.L. : Vardhamani (A) Vihāra Mahāmeghavāhana, 2 (3), 39-45 A 2.22 Shastri, T.V.G. : Early Jainas in Tamilnadu and Madurai Caves, 2 (3), 47-61 + 4 Page
Art paper A 2.23 कनकनन्दि (उपाध्याय-मुनि) : जैन धर्म में वर्णित मनोविज्ञान (षट् भावात्मक वर्ण), 2 (4), 1-7
A 2.24 जैन, लक्ष्मीचन्द्र : दिगम्बर जैन ग्रंथों में बिन्दु, वृत्त, रेखा और त्रिभुज, 2 (4), 9-12 A 2.25 जैन, नीलम : जैन धर्म की धरा और विज्ञान का वृक्ष, 2 (4), 13-16
A 2.26 जैन, रमेशचन्द्र : भविष्यत् काल के तीर्थकर, बलभद्र, नारायण एवं प्रतिनारायण के शरीर की ऊँचाई का प्रमाण,
2 (4). 17-20 A 2.27 शुक्ल, राममोहन एवं श्याम वैद्य : मध्यप्रदेश के पुरातत्व संग्रहालयों में जैन पुरातत्व प्रतिमाएँ, 2 (4), 21-24 A 2.28 कनकनन्दि (उपाध्याय-मुनि) : दिव्यध्वनि : एक विश्लेषण, 3 (4), 25-33 A2.29 जोशी, कमला : जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान के परमाणु विषयक विचारों का तुलनात्मक विवेचन, 2 (4), 35-43 A 2.30 Lishk, Sajjan Singh : On Five Circular Parts of Jambudvipa, 2 (4), 45-49
A2.31 Shastri, T.V.G.: Stone Inscriptions of Vaddamānu, 2 (4), 51-61 + 2 Page Art paper
अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
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