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अर्हत् वचन वर्ष - 1 (1988 - 89) से वर्ष 14 (2002) में प्रकाशित
टिप्पणियों की वर्षानुसार सूची (151)
कोड लेखक का नाम / टिप्पणी का शीर्षक एवं प्रकाशन विवरण N 1.1 जैन, अनुपम : जैन गणित पर एक और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की उपादेयता, 1(2), 65-67 N1.2 जैन, अनुपम : तेजसिंह एवं इष्टांक पंचविंशतिका, 1(2), 68 +2 पृ. आर्ट पेपर N 1.3 Jain, Anupam : A New Book of Al - Birūni, 1(2), 69-70 N1.4 वैद्य, सिद्धार्थश्याम : अर्हत् वचन एक युगान्तरकारी शोध प्रकाशन (पत्र में लेख), 1 (3), 87-88 N1.5 शुक्ल, राममोहन : प्राच्य विद्याओं का अध्ययन - एक अनिवार्य आवश्यकता (पत्र में लेख), 1(3), 89.91 N 1.6 Pisapati, R.K. : Dhärāshiva Caves Excavated by Trikutakās, 1(3-4). 59 N1.7 Shastri, T.V.G. : Proposed Emblem of Kundakunda Jnanapitha, 1 (3-4), 60 N 1.8 Shastri, T.V.G. : The Date of Kundakundācārya, 1(3-4), 61-62 N2.1 शुक्ल, राममोहन : टीले में छिपा इतिहास, 2 (2), 69-70 N2.2 जैन, अनुपम : वचन कोश के गणितीय अंश, 2 (2), 71-74 N2.3 मिलिन्द, निर्मल : छोटा नागपुर एवं संथाल परगना के जैन पुरावशेष, 2 (2), 75-76 N2.4 कनकनंदी (उपाध्याय - मुनि) : स्वास्थ्य विज्ञान, 2 (3), 63-64 N2.5 Shastri, T.V.G. : Ugrāditya - A Jaina Vaidyācārya of Trikalinga, 2(3), 65-66 N 2.6 Jain, Laxmi Chandra : Origination and Charecterstic of Jaina Mathematics ( A Comment),
2 (4), 73-75 N3.1 जैन, रामजीत (एडवोकेट) : कडवप्पु - कलवप्पु, 3 (1), 47-49 N3.2 जैन, ऋषभचन्द 'फौजदार' : नियमसार का विशिष्ट संस्करण, 3 (2), 59-60 N3.3 चौधरी, कैलाशचन्द्र : धर्मस्थल एवं बावनगजाजी, 3 (2), 65-67 N3.4 कासलीवाल, रमेश : उत्सवों के उत्साह का उचित उपयोग अनिवार्य, 3(2), 67-68 N3.5 जैन, सुमन : जैन महिला जागरण में विशाल महोत्सवों की भूमिका, 3 (2), 69-70 N 3.8 Shastri, T.V.G. : Umāsvāmi - A Saint of Kundakunda Lincage, 3(3), 75-76 N4.1 जैन, उषा : 17 वीं शताब्दी के महान कवि - कविवर बुलाकीदास, 4 (1), 71-72
अर्हत वचन 15 (1-2), 2003
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