Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 119
________________ 4. 5. 6. 7. प्रो. गोकुलचन्द जैन अध्यक्ष- प्राकृत एवं जैनागम विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि., वाराणसी (उ.प्र.) सम्प्रति - सेवानिवृत्त एवं आरा में निवासरत 9. डॉ. गोकुल प्रसाद जैन उपनिदेशक- भारतीय ज्ञानपीठ, 18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, दिल्ली- 110018 प्रो. लक्ष्मीचन्द्र जैन INSA रिसर्च एसोशिएट - गणित, रानी दुर्गावती वि.वि., जबलपुर निवास : दीक्षा ज्वैलर्स के ऊपर, 554, सराफा, जबलपुर प्रो. श्रीधर बाजपेयी (स्वामी श्रीधरानन्द ) दस महाविद्या शक्तिपीठ, तेजाजी नगर, इन्दौर 8. प्रो. जी. सी. पाटनी (दिवंगत) पूर्व अध्यक्ष - गणित विभाग, राजस्थान वि.वि., जयपुर प्रो. पी. एन. मिश्र निदेशक - अन्तर्राष्ट्रीय व्यावसायिक अध्ययन संस्थान, देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर 10. डॉ. जे. डी. जैन पूर्व वैज्ञानिक - C. E.E.R.I., पिलानी, सम्प्रति श्रीजी नगर, जयपुर 11. प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' अध्यक्ष- पाली प्राकृत विभाग, नागपुर वि.वि., नागपुर (महा.) 12. प्रो. पी. एन. मिश्र निदेशक प्रबन्ध अध्ययन संस्थान, देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर अर्हत् वचन, 15 ( 12 ), 2003 Jain Education International 17.03.92 20.03.93 24.3.94 29.7.95 19.11.95 31.12.95 23.3.98 20.12.98 30.6.2001 For Private & Personal Use Only पुरातत्व, कला, संस्कृति एवं विज्ञान का नई पीढ़ी को हस्तांतरण जैन विद्या के सन्दर्भ में विदेशों में जैन धर्म जैन धर्म और दर्शन का वैज्ञानिक पक्ष मानव सुख सौख्य और विश्व शांति जैन योग एवं संस्कृति में निहित है जैन विद्याओं में शोध एवं वर्तमान सन्दर्भ जैन धर्म और आधुनिक विज्ञान कम्बोडिया के पंचमेरू मंदिर वर्तमान युग की प्रासंगिकता में जैन सिद्धान्तों भगवान महावीर के सिद्धान्तों की प्रासंगिकता 117 www.jainelibrary.org

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