Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 27
________________ 14.11 जैन, स्नेहरानी काल विषयक दृष्टिकोण, 14 (2-3), 41-50 A14.12 जैन, अनुपम बीसवीं सदी में जैन गणित के अध्ययन की प्रगति, 14 (2-3), 51-68 A14.13 Dongaonkar, Ujjwala N., Karade, T.M. & Jain, L.C. A Brief Review of the Literature of Jaina Karmic Theory, 14 (2-3), 69-77 : A14.14 Jain, Pragati & Jain, Anupam Acarya Virasena and his Mathematial Contribution, : 14 (2-3), 79-90 A14.15 Surana, Dilip KD Theory of Time & Consciousness, 14 (2-3), 91-97 Environment Life Ethics and Jain Religion. 14 (4), 9-14 A14.16 Jain, N.P. A14.17 कोठारी, सरोज आतंकवाद का मनोविज्ञान एवं अहिंसा के सिद्धान्त की प्रासंगिकता, 14 (4) 15-24 : अहिंसा की वैज्ञानिक आवश्यकता और उन्नति के उपाय 14 (4), 25.31 कीट हत्या: कारण, प्रभाव तथा बचाव 14 (4) 31-35 14. 18 जैन, अजित 'जलज' A14.19 जैन, अजित 'जलज' A14.20 जैन, रामजीत (एडवोकेट) A14.21 तिवारी, बिनोदकुमार 14.22 प्रसाद, जगदीश मांसाहार और आधुनिक विज्ञान 14 (4), 45-47 : अहिंसा इतिहास के आलोक में, 14 (4), 37-40 : जैन संस्कृति और पर्यावरण, 14 (4), 41-43 : Jain Education International A14.23 Kumar, Bhuvanendra S.A. The Jaina Hagiography and the Satkhandagama, 14 (4), 49-60 A14.24 जैन, गुलाब चन्द A14.25 जैन, गुलाब चन्द A14.26 जैन, अभयप्रकाश : A14.27 जैन, रामजीत (एडवोकेट) 14.28 जैन, जिनेश्वरदास जैन परम्परा से जुडी माया सभ्यता, 14 (4) 81-84 अर्हतु वचन 15 (1-2). 2003 · 1 षट्खंडागम और धवला, जयधवला, महाधवला आदि उसकी टीकाएँ, 14 (4), 61-68 बडोह पठारी के प्राचीन जिनालयों का जैन सांस्कृतिक धरातल 14 (4), 69.72 सराक लोक कला की सांस्कृतिक धरोहर, 14 (4), 73-76 · जैन दर्शन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, 14 (4) 77-80 For Private & Personal Use Only 25 www.jainelibrary.org

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