Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 63
________________ कर्म सिद्धान्त और सामान्य विज्ञान (Karma Theory & General Science) (47)| A1.24 खरे, के. सी. : योग के वैज्ञानिक रहस्य, ध्वनि ॐ का महत्व, 1 (3), 25-26 A 1.25 Kasliwal, R.M. : Karma and Rebirth Phenomenon of Jaina Philosophy as Worked out on Scientific Lines, 1 (3), 27-32 A 1.30 Jain, Sultan Singh : Religion Means - The Thoughtful way of Living which Bless Others to Live to0, 1(3), 55-58 A 2.1 कनकनन्दि (उपाध्याय - मुनि) : जीव की विभिन्न गति के वैज्ञानिक कारण, 2 (1), 1-5 A2.3 जैन, लक्ष्मीचन्द्र : जैन धर्म बनाम विश्वधर्म, 2 (1), 13-19 A2.18 जैन, नीलम : वर्तमान की आवश्यकता - जैनागम का वैज्ञानिक विश्लेषण, 2 (3), 21-22 A2.25 जैन, नीलम : जैन धर्म की धरा और विज्ञान का वृक्ष, 2 (4), 13-16 A 2.28 कनकनन्दि (उपाध्याय - मुनि) : दिव्यध्वनि : एक विश्लेषण, 3 (4), 25-33 A 3.4 कनकनन्दि (उपाध्याय - मुनि) : कर्म सिद्धान्त का वैज्ञानिक विश्लेषण, 3(1), 41-44 + 2 आर्ट पेपर A 3.11 जैन, नीलम : राम धनुर्धर ही नहीं, वैज्ञानिक भी थे, 3 (2), 55-57 A 3.27 कनकनंदि (उपाध्याय - मुनि) : मंत्र का वैज्ञानिक विश्लेषण, 3 (4), 35-39 A3.28 जैन, नीलम : 'चरणस्पर्श' का वैज्ञानिक आधार है. 3(4). 41-44' A 4.9 शास्त्री, ब्र. सुमन : जैन दर्शन अध्यात्म/विज्ञान, 4 (2-3), 25-28 A 5.19 कुमार, रज्जन : पृथ्वीकाय 36 या 40, 5 (3), 179-185 A 5.24 दुबे, महेश : विज्ञान, धर्म और आइंस्टाइन, 5 (4), 225-228 A 6.13 जैन, (ब्र.) रवीन्द्रकुमार : महामस्तकाभिषेक की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता, 6 (2), 85-87 A 6.14 जैन, नीलम : महामस्तकाभिषेक : एक विश्लेषण,6 (2), 89-92 A 6.26 जैन, ज्योति : 1991-93 में जैन विद्या शोध एवं पंजीकृत शोधार्थी : एक विश्लेषण, 6 (3), 181-190 A 6.33 Bhattacharya, Samir K. : Meditative Way to Peace, 6 (4), 67-90 A 7.4 Jain, Nandlal : Branches and Subjects of Learnings in Jaina Canons, 7 (1), 75-84 A7.10 जैन, रामजीत (एडवोकेट) : अनन्त ज्ञान का प्रतीक 'ओं - ओउम् - ऊँ',7 (2), 23-26 A7.15 जैन, अभयप्रकाश : समवशरण स्थित भामण्डल में गत/आगत भवों का दिग्दर्शन, 7 (3), 21-25 A7.16 जैन, नीलम : मानस्तम्भ संरचना की सार्थकता : एक विश्लेषण, 7 (3), 26-30 + 1 पृ. आर्ट पेपर A 7.25 Shastri, T.V.G. : Jainism and the Spiritual Environment, 7 (4), 73-75 अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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