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7. 'जैन समाज के सन्दर्भ में कार्यशील महिलाओं की भूमिका व उनके पारिवारिक
समायोजन का समाजशास्त्रीय अध्ययन (उदयपुर के सन्दर्भ में)' (समाज शास्त्र),
श्रीमती प्रीति जैन, इन्दौर, नि. - प्रो. सोसम्मा पोथन, देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर 8. 'Mathematical Contribution of Ācārya Nemicandra' (Maths), Mr. Dipak
Jadhav, Barwani, 9. 'Philosopher Mathematicians of India' (Maths), Mr. Prasnat Tilwankar, Indore. प्राकृत विद्या शिक्षण - प्रशिक्षण शिविर
भारत की प्राचीन सांस्कृतिक सम्पदा को समझने के लिये प्राकत का विधिवत वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन, अध्यापन तथा शिक्षण - प्रशिक्षण आज की अनिवार्य आवश्यकता
है।
कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा भी प्राकृत के अध्ययन को विकसित करने के उद्देश्य से प्राकृत विद्या शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर के आयोजन की रूपरेखा बनाई गई। सौभाग्य से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राकृत एवं जैनागम विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष तथा श्रमण विद्या संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. गोकुलचन्द्र जैन का इन्दौर में शुभागमन हआ। संस्था के तत्कालीन निदेशक प्रो. नवीन सी. जैन ने उनसे चर्चा करके प्रशिक्षण हेतु समय देने की स्वीकृति प्राप्त कर ली। यही नहीं, उन्होंने शीघ्र ही प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा भी तैवार करके दे दी। उपरान्त दिनांक 4.12.95 से 17.12.95 तक 2 सप्ताह का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें प्रशिक्षण का दायित्व डॉ. गोकुलचन्द्र जैन, वाराणसी, ब्र. चन्द्रशेखरजी (सम्प्रति मुनि श्री प्रवचनसागरजी, संघस्थ आचार्य श्री विद्यासागरजी) तथा डॉ. संगीता मेहता, सहायक प्राध्यापक - संस्कृत, शासकीय कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इन्दौर ने निभाया। इस पाठ्यक्रम में 33 प्रशिक्षार्थी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन थे। अमर ग्रन्थालय पांडुलिपि सूचीकरण परियोजना
देश के विभिन्न क्षेत्रों में सहस्रों पांडुलिपियाँ अप्रकाशित, अप्रचारित पड़ी हैं। इन पांडुलिपियों का संरक्षण एवं सूचीकरण आज की प्राथमिक एवं अपरिहार्य आवश्यकता है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ने 1993 में डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन के मार्गदर्शन में अमर ग्रन्थालय की पांडुलिपियों के सूचीकरण की योजना प्रारम्भ की। 1993 - 1996 की अवधि में इस योजना के अन्तर्गत उन्होंने अमर ग्रन्थालय (दि. जैन उदासीन आश्रम) के 911 ग्रन्थों का सूचीकरण किया। विषय वस्तु की दृष्टि से भी इन ग्रन्थों में इतिहास, राजनीति, समाजशास्त्र, विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, दर्शन शास्त्र आदि विभिन्न विषयों से सम्बद्ध सामग्री उपलब्ध है। इन ग्रन्थों में से लगभग 60 ग्रन्थ तो ऐसे हैं जो काफी पुराने हैं तथा उनके पृष्ठ निकल रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ ग्रन्थ रंग - बिरंगी स्याही एवं स्वर्णाक्षरों से लिखे हुए हैं। कुछ ग्रन्थों में तो धर्म और संस्कृति से सम्बद्ध काफी महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ चित्र उपलब्ध हैं। इन ग्रन्थों में से कुछ ग्रन्थों में रचनाकारों व लिपिकारों ने देश व समाज के तत्कालीन इतिहास पर भी अच्छा प्रभाव डाला है जो शोध की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस भंडार की सूचियों का पुनर्परीक्षण कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर के सहयोग से किया गया। फुटकर संकलन के बंडलों एवं अपूर्ण ग्रन्थों के मध्य हमें कई नये ग्रन्थ मिले हैं जिससे इस सूची में कुछ नये नाम जुड़े हैं। सूची के संशोधन एवं परिवर्द्धन में आश्रम के अधिष्ठाता
अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
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