Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 110
________________ केन्द्रीय संग्रहालय, इन्दौर के संग्रहाध्यक्ष श्री नरेशकुमार पाठक द्वारा जैन शिल्प अत्यन्त श्रमपूर्वक लिखी गई कृतियों - 'मध्यप्रदेश का जैन शिल्प' और 'विदेशी संग्रहालयों में भारत की जैन प्रतिमाएँ का प्रकाशन ज्ञानपीठ द्वारा क्रमश: वर्ष 2000 एवं 2003 में किया गया। इनके प्रकाशन में श्री सिद्धकूट चैत्यालय टेम्पल ट्रस्ट, अजमेर के श्री निर्मलचन्दजी सोनी, श्री प्रमोदकुमारजी सोनी आदि का विशेष शोध परियोजना सहयोग रहा। 2 मई 1993 को देवी अहिल्या वि.वि. के तत्कालीन कुलपति डॉ. उमरावसिंह चौधरी के मुख्य आतिथ्य एवं विक्रम वि. वि., उज्जैन के भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सी. जैन की अध्यक्षता में जैन विद्या शोध उन्नयन विचार विमर्श बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की विस्तृत व्याख्या अर्हत् वचन 5 (2), अप्रैल 93 में प्रकाशित है। बैठक के निर्णयों को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से जैन विद्याओं के अध्ययन एवं शोध कार्य को प्रोत्साहन देने हेतु तथा लोगों को संस्था से जुड़ने की भावना से 'जैन विद्याओं के अध्ययन/अनुसंधान हेतु आमंत्रण' शीर्षक से एक विज्ञापन मई 93 के द्वितीय पक्ष में देश के प्रमुख समाचार पत्रों - राजस्थान पत्रिका, सन्मार्ग (कलकत्ता), गुजरात समाचार, हिन्दुस्तान दैनिक, जनसत्ता, दैनिक लोकस्वामी, दैनिक भास्कर, इण्डिन एक्सप्रेस आदि पत्रों के विभिन्न स्थानों से निकलने वाले संस्करणों में प्रकाशित किया गया। लगभग 10000 हेण्ड बिल भी प्रकाशित कराकर सम्पूर्ण देश के विश्वविद्यालयों/शोध संस्थानों में भेजे गये। इन विज्ञापनों के प्रकाशन के पश्चात जानकारी मिलते ही भारतवर्ष के विभिन्न अंचलों से जैन विद्या पर शोध कार्य हेतु लगभग 150 आवेदन पद प्राप्त हुए। जिनमें से पात्रतानुसार चयन करके, योग्य शोधार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु पत्राचार के माध्यम से शोध हेतु विषयों का सुझाव तथा अन्य मार्गदर्शन किया गया। साथ ही इस हेतु संस्था की सहयोग योजना को भी उनके समक्ष स्पष्ट कर दिया गया ताकि अधिक से अधिक लोग इस ओर आकर्षित होकर शोध कार्य कर सकें। ___इस संस्था द्वारा शोधकर्ताओं को विभिन्न कार्यों के लिये समय - समय पर पात्रतानुसार अकादमिक एवं आर्थिक सहायता दी गई एवं दी जा रही है। अनेक शोधार्थियों ने ज्ञानपीठ में रहकर अपने शोधकार्य को पूर्ण किया। हम यहाँ पर उन Ph.D. शोध प्रबन्धों, M.Phil. Project Reports (योजना विवरणों) एवं M.A/M.Sc. के लघु शोध प्रबन्धों की सूची प्रकाशित कर रहे हैं जिनके प्रणयन में संस्था ने प्रत्यक्ष/परोक्ष, अकादमिक/आर्थिक सहयोग दिया। इस परियोजना के क्रियान्वयन में संस्था के मानद निदेशक प्रो. नवीन. सी. जैन के मार्गदर्शन में डॉ. प्रकाशचन्द जैन का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। सम्प्रति प्रो. ए. ए. अब्बासी, प्रो. गणेश कावडिया, प्रो. ललिताम्या, प्रो. सुरेशचन्द्र अग्रवाल, प्रो. सरोजकुमार, प्रो. पुरुषोत्तम दुबे, डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन, डॉ. शकुन्तला सिंह, डॉ. संगीता मेहता एवं डॉ. अनुपम जैन शोधार्थियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं। 108 अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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