Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 105
________________ आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी महोत्सव वर्ष के पावन प्रसंग पर 18 - 19 अक्टूबर 1987 को इन्दौर नगर में आयोजित जैन विद्या संगोष्ठी में समागत मूर्धन्य जैन विद्या मनीषियों के साथ सम्पन्न विचार मंथन से प्राप्त नवनीत के रूप में श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल ने दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट के अन्तर्गत एक शोध संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया। तदनुरूप 19.10.87 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलालजी वोरा की उपस्थिति में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की स्थापना की गई। संगोष्ठी में सप्तागत विद्वानों की भावना के अनुरूप डॉ. अनुपम जैन ने कुन्दकुन्द सानपीड के विकास की भावी योजनाओं एव प्राथमिकताओं का विस्तृत प्रारूप तैयार कर श्री दामारसिह कासलीवाल के मार्गदर्शन में ज्ञानपीठ का संचालन 1.11.87 से प्रारम्भ किया। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की प्रारम्भ से अब तक संचालित समस्त योजनाओं के आकल्यन एवं क्रियान्वयन का श्रेय इसके प्रथम कार्यकारी अधिकारी एवं वर्तमान मानद सचिव डॉ. अनुपम जैन को जाता है एवं इन गतिविधियों को त्वरित गति देने में श्री आजतकुमारसिंह कासलीवाल की भूमिका अविस्मरणीय है। सम्प्रति कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ का संचालन मुख्यतः दिगम्बर से उदास आश्रम ट्रस्ट, इन्दौर से प्राप्त अनुदान से कुन्दकुन्द ज्ञानपीट का पावर हार जाता है। ज्ञानपीठ को इस सर्वोच्च संस्था ने अपनी सुविधा के लिये एक परामर्शदान समिति का गठन किया है। सामान्यतः इस समिति के परामर्शानुसार ही झानपीट अनी भावी गतिविधियों का संचालन करती है। कार्य परिषद ने ज्ञानपीठ की समस्त निर्याभत अतिविधियों एवं प्रकल्पो के संचालन हेतु एक 9 सदस्यीय शोध समिति/निदेशक मंडल का मनोनयन किया गया है। इसको सूची. 8 पर दी गई है। प्रत्येक वर्षको अन्तराल से पुनर्गटन होता है। ज्ञान के अन्तर्गत दिन, गातेविधियों को गत वर न .. कुन्दकुन्द न्यौट परीक्षा संस्थान ... ज्ञानरीट की स्थापना भूलत. शोध संस्थान के रूप में की गई है। स्थारि । इसकी गतिविधियों को बहआयामी रखा गया है। समाज की नई पीढी में नैतिक मूल्यों के विकास तथा जैनधर्म की मूलभूत शिक्षाओं के प्रचार प्रसार हेतु देश के मूर्धन्य ऐन विद्वान संहितामरि पं. नाथूलाल जैन शास्त्री की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में कुन्टकल ज्ञानपीठ के एक प्रकल्प में "कुन्द ज्ञानपीठ परीक्षा बोर्ड की स्थापना दिसम्बर 1987 में की गई थी। 1 दिसम्बर 1987 से इस परीक्षा बोर्ड का संचालन पं. नाथूलालजी शास्त्री के सुयोग्य निर्देशन में किया रहा है। सत्र 1995-96 से इस परीक्षा संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। 1.12.87 से श्री अरविन्दकुमार जैन शास्त्री परीक्षाधिकारी का दायित्व सफलता से निर्वाह कर रहे हैं। प्रारम्भ में श्रीमती चन्द्रप्रभा देवी मोदी इस संस्थान की मंत्री थीं, किन्तु उनके निधन के पश्चात् यह दायित्व सत्र 1996-97 से श्रीमती विमलादेवी कासलीवाल ने ग्रहण कर लिया है। परीक्षा संस्थान के पाठ्यक्रमों के निर्धारण एवं प्रश्नपत्रों के निर्माण का कार्य विद्वानों के सहयोग से किया जाता है। पृष्ठ 104 पर परीक्षा संस्थान की परामर्शदात्री समिति एवं पृष्ठ 105 पर दी गई सारणी में विभिन्न वर्षों में संचालित पाठ्यक्रमो से सम्बद्ध संस्थाओं एवं छात्रों की संख्या दर्शायी गई है. जो परीक्षा संस्थान के व्यापक स्वरूप को स्पष्ट करती अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003 103 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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