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शास्त्री, टी.वी.जी. ( Shastri, T.V.G. )
A 1.20, A 1.31, A 1.34, A 1.35, A 2.31, A 2.32, A3.7, A 4.4,
N3.8,
N 2.5, (Shukla, Rammohan )
N2.1, N 2.1,
N 1.7, N 1.8, शुक्ल, राममोहन राममोहन
सुन्दरा, ए.
(Sundara, A.
A 4.15, A 5.11, N1.5,
B 2.13, B3.1, B3.2,
शुक्ल, राममोहन एवं वैद्य, श्याम
A 2.27. A 3.8
शुभचन्द्र एवं जैन अशोककुमार (Shubhachandra & Jain, Ashokkumar )
R 13.4
A 7.12, A 12.23
सुराना, दिलीप, (Surana, Dilip )
A 14.15
शेट्टर प. (Shettar, S.)
A 1.36, A 1.37, A 2.6, A4.23, A 5.15, A 6.22, N4.8, N. 8.2, N 8.2,
N5.4,
B2.1, B2.9,
R5.3
N 6.4
तिवारी, बिनोदकुमार (Tiwari, Binod Kumar ) A 7.6, A 10.5, A 10.9, A 13.1, त्रिपाठी, रूद्रदेव (Tripathi, Rudradev)
S4.6
N 1.4
वसंतराज, एम.डी. ( Vasant raja, M. D. )
A 10.18
Jain Education International
अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
B6.2, B 6.2,
(Shukla, Rammohan & Vaidya, Shyam )
उपाध्याय, शचीन्द्रप्रसाद एवं उपाध्याय, ऋचा
(Upadhyaya, Shachindra Prasad & Upadhyaya, Richa ) A 4.33, A 7.11
वैद्य, सिद्धार्थ श्याम (Vaidya, Siddhartha Shyam )
A 14.21
A2.12, A 2.22,
A 5.16, A 7.25
R 5.4,
B2.10. B2.11, B2.12.
शोध पत्रिका (अर्हत् वचन) का प्रस्तुत अंक [14 (23) ] गणित विषयक चयनित सामग्री के कारण गणित के क्षेत्र में विशेषाधिकार ज्ञात होता है। साथ ही अन्य गणितज्ञों ने जैनाचार्यों द्वारा प्रणीत प्राचीन सूत्रों का अवलम्बन किया यह भी बोध होता है। 'जैन साहित्य में ध्वनि विज्ञान' तथा 'जैन कर्म सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक मस्तिष्क संबंधी खोजें' आलेख नवीन जानकारी प्रदान करते हैं। पत्रिका पठनीय, संकलनीय एवं शोधार्थियों के लिये विशेष उपयोगी है।
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संपादक - जैन मित्र ( साप्ताहिक)
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