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A13.17 मेहता, संगीता : वर्धमान चरितम्, वर्धमानस्वामिचरित्तम्, 13 (2), 29-34 A13.18 बंसल, राजेन्द्रकुमार : भगवान शिव एवं विष्णु के अवतार, 13 (2). 35-38 A13.19 जैन, जयकुमार : नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती और द्रव्यसंग्रहकार मुनि नेमिचन्द्र की भिन्नता, 13 (2), 39-44 A13.20 जैन, अनिलकुमार : क्या औरंगजेब की नीतियाँ हिन्दू विरोधी थीं?, 13 (2), 45-49 A13.21 जैन, जया : रइघू रचित पोथी चित्र में जैन चित्रकला?, 13 (2). 51-56 A13.22 Kunar, Bhuvnendra S.A. : Searching for Jaina Identity in NorthAmerica, 13 (2), 57-62 A13.23 Jain, Narendra P : Conflict Resolution Through Non-Violence in Action - The Jaina
Approach, 13 (2), 63-69 A13.24 Malaiya, Yashvant K. : Kundalpur's Past Three Centuries, 13 (3-4), 5-13 A13.25 महाप्रज्ञ (आचार्य) : मांसाहार : एक समीक्षा, 13 (3-4), 15-18
A13.26 जैन, राजकुमार आचार्य : द्वादशांग श्रुत और उसकी परम्परा, 13 (3-4), 19-24
A13.27 बोबरा, सूरजमल : आगमिक सन्दर्भो के शिल्पी : वैज्ञानिक इतिहासकार - यतिवृषभ, 13 (3-4), 25-40
A13.28 मेहता, मुकुलराज : जैन दर्शन में आस्रव तत्व का स्वरूप, 13 (3-4), 41-47
A13.29 जैन, कमल : वास्तुकला और पाषाण प्रतिमाएँ, 13 (3-4), 49-54
A13.30 जैन, रश्मि : तीर्थकर महावीर : एक जीवन शैली,13 (3-4), 55-58 A13.31 जैन, प्रकाशचन्द्र : डॉ. नेपीचन्द जैन सन्दर्भ साहित्य : एक दृष्टि, 13 (3-4), 59.62 A13.32 मधुबाला (साध्वी) : सम्पइजिणचरिऊ में महावीर, 13 (3-4), 63-66 A14.1 Gupta, R.C. : Area of Bow-Figure in Jaina Mathematics, 14 (1), 9-15 A14.2 Jain, Anupam : Mathematics in Mahāvira's Tradition, 14 (1), 17-29
A14.3
Jadhav, Dipak and Padmavathamma : The Mensuration of a Conch in Ancient India, , 14 (1), 31-54
A14.4 Jain, Nandlal : Mathematical Formulary of Jainistic Precepts, 14 (1), 55-60 A14.5 गुप्त, राधाचरण : जैन गणित पर आधारित नारायण पंडित के कुछ सूत्र, 14 (1), 61-70 A14.6 जैन, अभयप्रकाश : जैन साहित्य में ध्वनि/शब्द विज्ञान, 14 (1), 71-74 A14.7 जैन, प्रभा (ब्र.) एवं जैन, लक्ष्मीचन्द्र : आधुनिकतम मस्तिष्क संबंधी खोजें - जैन कर्म सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में,
14 (1), 75-86 A14.8 जैन, अनुपम, अग्रवाल (सिंघल) ममता एवं तिलवनकर, प्रशान्त : आचार्य श्रीधर और उनका गणितीय
अवदान, 14 (2-3), 15-30 A14.9 जैन, उदयचन्द्र : गणनकृति : स्वरूप एवं विवेचन, 14 (2-3), 31-33 A14.10 मंगलप्रज्ञा (समणी) : जैन दर्शन मान्य काल-द्रव्य, 14 (2-3), 35-39
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अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
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