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B 13.1 बोबरा, सूरजमल : मध्यप्रदेश का जैन शिल्प (नरेशकुमार पाठक)(पुस्तक), 13 (2), 77-78 B 13.2 जैन, कुमार अनेकान्त : शुद्ध शोध की बोधक - सम्पादकीय (लेख) (अर्हत् वचन, जनवरी 2001 का
सम्पादकीय, अनुपम जैन), 13 (2), 93-94 B 13.3 जैन, भागचन्द्र भास्कर' : जैन विद्या संस्थानों के टूटते बिखरते कंगूरे (लेख), 13 (2), 95-97 B 13.4 अग्रवाल, सुरेशचन्द्र : त्वरित नहीं दूरगामी सोच चाहिये (लेख), 13 (2), 98 B 13.5 जैन, अभयप्रकाश: जैन शोध संस्थानों की समस्याएँ एवं समाधान - सम्पादकीय एवं सत्र विचारोत्तेजक (अर्हत्
वचन, जनवरी 2001, अनुपम जैन)(लेख), 13 (2), 99-100 B 13.6 जैन, अनुपम : प्राग्वैदिक जैन धर्म एवं उसके सिद्धान्त (नाथूलाल जैन शास्त्री)(पुस्तक), 13 (3-4), 75 B 13.7 जैन, जयसेन : समीचीन सार्वधर्म सोपान (नाथूलाल जैन डोंगरीय) (पुस्तक), 13 (3-4),76 B14.1 बोबरा, सूरजमल : जीवन क्या है? (डॉ. अनिल कुमार जैन) (पुस्तक), 14 (1), 87-88 B 14.2 जैन, अनुपम : गणितसार संग्रह (महावीराचार्य 850 ई.) (कन्नड अनुवाद सहित सम्पादित पद्मावथम्मा),
(पुस्तक), 14 (2-3), 124 B 14.3 जैन, अनुपम : ऋषिकल्प (डॉ. हीरालाल जैन स्मृति ग्रन्थ) (संपादक.- धर्मचन्द जैन), 14 (4), 104
कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की स्थापना दि. जैन समाज में एक अभूतपूर्व प्रयास है। ज्ञानेन पुंसां सकलार्थ सिद्धिः इस आस्था के परिचायक है ज्ञानपीठ के सभी प्रयास। अर्हत् वचन शोध पत्रिका ने अल्पावधि में देश - विदेश के प्रबुद्ध वर्ग को आकर्षित किया है। जैन विद्या के क्षेत्र में शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने तथा तीर्थ क्षेत्रों पर बिखरे अवशेषों के पीछे छिपे इतिहास के अन्वेषणों के जो प्रोजेक्ट्स ज्ञानपीठ ने हाथ में लिये हैं, वे अत्यन्त महत्व के हैं।
प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन सम्पादक - जैन गजट एवं अध्यक्ष - अ. भा. दि. जैन शास्त्री परिषद
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अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
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