Book Title: Arhat Vachan 2003 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 42
________________ R 13.1 जैन, महेन्द्रकुमार 'मनुज' : भट्टारक यशकीर्ति दिग. जैन सरस्वती भवन, ऋषभदेव का सर्वेक्षण व शास्त्रों का मिलान, 13 (2), 79-82 R 13.2 जैन, अनुपम : जैन विद्या संगोष्ठी एवं पुरस्कार समर्पण समारोह, इन्दौर, 3-5 मार्च, 2001, 13 (2), 83-88 R 13.3 जैन, राजीव : भगवान ऋषभदेव जयन्ती एवं संगोष्ठी, आगरा, 18-19 मार्च 2001, 13 (2), 91-92 R 13.4 शुभचन्द्र एवं जैन, अशोककुमार : डॉ. आ.ने. उपाध्ये : व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रीय संगोष्ठी, सूर्यनगर, गाजियाबाद, 1-3 मार्च 2001, 13 (3-4), 69-74 R 14.1 बोबरा, सूरजमल : भगवान महावीर : जीवन एवं दर्शन राष्ट्रीय संगोष्ठी, इन्दौर, 24-25 फरवरी 2002, 14 (1), 89.91 R14.2 जैन, हंसकुमार : प्रथम उपाध्याय ज्ञानसागर श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2000 समर्पण समारोह, दिल्ली,6 जनवरी 2002, 14 (1), 93-95 R14.3 जैन, जयसेन : श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2001 समर्पण समारोह, केकडी, 26 मई 2002, 14 (2-3), 113-114 R14.4 जैन, अभयप्रकाश : गोपाचल विरासत दशा एवं दिशा राष्ट्रीय संगोष्ठी, ग्वालियर, 7-8 सितम्बर 2002, ____14 (2-3), 115-118 R14.5 जैन, महेन्द्रकुमार 'मनुज' : सिरिभूवलय अनुसंधान परियोजना : बढ़ते कदम, 14 (2-3), 119.123 R 14.6 जैन, विजयकुमार : जैन श्रावकाचार पर राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी, लखनऊ, 15-16 अगस्त 2002, 14 (4), 103 नोट - व्याख्यानमाला की आख्याओं एवं अन्य अकादमिक गतिविधियों की संक्षिप्त आख्याओं/सूचनाओं को इसमें सम्मिलित नहीं किया गया है। अर्हत् वचन का अंक मिला, प्रसन्नता हुई । अर्हत् वचन के लेख असाधारण तथा गम्भीर हैं, यही इसकी विशेषता है । अर्हत् वचन में प्रकाशित समाचारों से प्रतीत होता है कि जैन संस्कृति की भावी दिशाएँ उज्जवल हैं और समाज में जागरण आ रहा है। विद्वानों के साथ - साथ समाज के प्रत्येक घटक को संस्कृति के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास आपके द्वारा हो रहा है, यह स्तुत्य है। डॉ. महावीर राज गेलड़ा पूर्व कुलपति - जैन विश्व भारती संस्थान, 5 सी.एच./20 जवाहर नगर, जयपुर 40 अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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