Book Title: Arhat Vachan 2000 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ है - अणवः स्कन्धाश्च। भेद सङ्घातेभ्य उत्पद्यन्ते। भेदादणुः। भेद संघाताभ्यां चाक्षुषः। वर्गणाएँ मिलकर किसी भी दृष्ट / अदृष्ट पुद्गलों का निर्माण करती हैं। जैनागम की परिभाषाओं में प्रदेश आधारित वर्गणाएँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं - (1) अणु / परमाणु की एक प्रदेश इकाई से .... = अणु / परमाणु पुद्गल द्रव्य वर्गणा AK वर्गणा (2) असंख्यात परमाणुओं की (दो प्रदेशों से संख्यात परमाणु इकाई वाली) = संख्यात प्रादेशिक परमाणु पुद्गल वर्गणा (3) असंख्यात प्रादेशिक परमाणुओं की पुद्गल द्रव्य वर्गणा = असंख्यात प्रादेशिक परमाणु पुद्गल वर्गणा (4) = आहार वर्गणा से अनंत और अनंतानंत प्रदेशी अनंत प्रदेशिक परमाणु पुदगल वर्गणा परीत प्रदेशी परमाणु पुदगल वर्गणा अपरीत प्रदेशी परमाणु वर्गणा (5) औदारिक / वैक्रियिक / आहारक शरीर भिन्न-भिन्न आहारक वर्गणा, योग्य भिन्न-भिन्न वर्गणाओं से = जो अलग-अलग विशेष उपयोग में आती हैं / अनंतानंत प्रदेशी (6) A B C D उपरोक्त 5 प्रकार की वर्गणाओं के बीच की उन्हीं सादजों की ऐसी वर्गणाएँ हैं जो त्रिलोक संस्थान में पाई जाती है किन्तु जिनका कोई उपयोग जीवन हितार्थ नहीं बनता दिखता ये ध्रुव शून्य वर्गणाएँ कहलाती हैं। वे भी बहुत उपयोगी हैं इस संसार का भ्रम उत्पन्न करने में। A - एक से संख्यात प्रदेशों वाली ध्रुव शून्य - वर्गणाएँ ___Bसंख्यात से असंख्यात प्रदेशों वाली ध्रुव, शून्य - वर्गणाएँ ____C. असंख्यात से अनंतानंत प्रदेशी ध्रुव शून्य वर्गणाएँ D- अनंतानंत से विशेष वर्गणाओं तक की ध्रुव शून्य वर्गणाएँ (7) देव, नारकी, प्रमत्तसंयत, केवली, पृथ्वी, जल, वायु एवं अग्निकायिक ये 8 प्रकार की वर्गणाएँ प्रत्येक शरीर बनाने वाली ....... = प्रत्येक शरीर वर्गणाएँ हैं। (8) बादर तथा सूक्ष्म निगोद बनाने वाली ........ = बादर निगोद / सूक्ष्म निगोद वर्गणाएँ जिनका कोई निवास स्थान नहीं है (कार्तिकेयानुप्रेक्षा गाथा, पृ. 234, पंचसु थावर वियले असणिणिगोदेसु मेच्छकुभ भोगे॥) (9) त्रिलोक संस्थान की एक वर्गणा से = महास्कंध वर्गणा। विज्ञान ने इन सबों को भिन्न-भिन्न प्रकार के परमाणु (Molecules) कहा है। अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000 33

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104