Book Title: Arhat Vachan 2000 10 Author(s): Anupam Jain Publisher: Kundkund Gyanpith Indore View full book textPage 1
________________ I.S.S.N. 0971-9024 अर्हत् वचन ARHAT VACANA वर्ष-12, अंक-4 अक्टूबर - दिसम्बर 2000 Vol. -12, Issue-4 October - December 2000 . ... ..: ."11 -1. ."- PAAAA :.. .10d १३ अरहंतकालनिसमासरनीववैविराजमान होयसापतमागम करिए प्रतमाको गाथाविरसचिहत्तबज्ञताकाम्याववि लेपास। बसिचाइहा। शिधापामारंपत्ता॥३७ादीका जेजतीवर हाउसविधत्तपकरा तक जार तैवलातकार अरकमकोनासको सन्या समरन करे लाजगतपरपजायतेती अनुत्तरजासरवाधीसधा पाहि विमा जनमेऽपने तथा अश्कर्मनाप्तनिवानको मानहाया। साजानना से साधजतीकोहमारानिमस्कारहाहाइतीश्रीकंदकुंदाचा विरंचतहरसन। पात्तपथम अधिकारसमानशा गाथा पहनासंभागनहरदेवे नहिंगथ्यसम्यासुतछमागणछोसिधुशासाहतिपरमही टीका अरहत्तदेवकी दिव्यधकारकहाँजोधर्मी ताकीचामनायपूर्वगनघरदेवता अंगपूर्वकीरचना करियंथनकी प्रवृत्तकरी निसार नयनका पहेसत्या जिनमत करती को खरडपते निवोनकासाधनकर माथा उत्तमिजसहिहापरिय HEALTRA . :. i . . ...... आचार्य कुन्दकुन्द हस्तलिखित श्रुत भण्डार, खजुराहो में संग्रहीत अष्टपाहुड की (अप्रकाशित टीका) की पांडुलिपि का एक पृष्ठ कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर KUNDAKUNDA JÑANAPITHA, INDOREPage Navigation
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