Book Title: Arhat Vachan 2000 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 95
________________ गतिविधियों गाजियाबाद में धर्म, आगम, विज्ञान विचार संगोष्ठी सम्पन्न गाजियाबाद के कविनगर स्थित श्री पार्श्वनाथ दिग. जैन मन्दिर में परमपूज्य मुनि श्री सौरभसागरजी महाराज एवं परमपूज्य मुनि श्री प्रबलसागरजी महाराज के सान्निध्य में धर्म, आगम एवं विज्ञान विचार संगोष्ठी दिनांक 18-19-20 सितम्बर 2000 को सम्पन्न हुई, जिसमें डॉ. जयकमार जैन-मज ने 'अनर्थदण्ड व्रत की प्रासंगिकता', डॉ. अनुपम जैन- इन्दौर ने 'जैनाचार्यों द्वारा प्रतिपादित गणित एवं आधुनिक गणित', डॉ. अशोक जैन- ग्वालियर ने 'अभक्ष्य - भक्ष्य भोजन', डॉ. अनिल जैन - अहमदाबाद ने 'क्लोनिंग और कर्मसिद्धान्त', डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' - बुरहानपुर ने 'जैन पूजा पद्धति', डॉ. कपूरचन्द्र जैन-खतौली ने 'जैन धर्म में पुद्गल द्रव्य', डॉ. एम. एम. बजाज-दिल्ली ने 'हिंसक पदाथों का उपयोग एवं भूकम्प', डॉ. श्रेयांसकुमार जैन - बड़ौत ने 'सामायिक और ध्यान की प्रासंगिकता', डॉ. नलिन के. शास्त्री - बोधगया ने 'धर्म और विज्ञान', प्राचार्य श्री निहालचन्द जैन-बीना ने 'शिक्षाव्रतों की सामायिक भूमिका' विषयक आलेख पढ़े एवं प्रबुद्ध श्रोताओं द्वारा उठाई गई जिज्ञासाओं का समाधान किया। सभी विद्वानों का शाल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदानकर सम्मान किया गया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. श्रेयांसकुमार जैन-बड़ौत एवं डॉ. नीलम जैन- गाजियाबाद ने किया। 'श्री पुष्प वर्षायोग समिति' ने संगोष्ठी की सफलता में महती भूमिका निभायी। जैन मिलन (महिला) एवं जयजिनेन्द्र बालिका संघ, वीर सेवा संघ द्वारा मंगलाचरण एवं रोचक भजन प्रस्तुत किये गये। डॉ. एम. एम. बजाज - नई दिल्ली द्वारा अहिंसा एवं मस्कुलर डिस्ट्राफी से सम्बन्धित 2 वीडियो कैसेट दिखायी गयीं जिससे लोगों की शाकाहार सम्बंधी आस्था दृढ़ हुई। इस अवसर पर आशीर्वाद स्वरूप मुनि श्री सौरभसागरजी महाराज ने कहा कि 'सभी को स्वयं के अस्तित्व को पहचानने की चेष्टा करनी चाहिये। पूर्वोपार्जित कर्मों को जलाने के लिये जिनपूजा परम इष्ट है। ज्ञान को आचरण में उतारकर हमें अपना भविष्य निर्मल बनाना चाहिये।' ___ संगोष्ठी की समीक्षा डॉ. नीलम जैन, सम्पादिका - जैन महिलादर्श ने की तथा इसे सफल बताया। इस अवसर पर अनेकान्त ज्ञान मन्दिर, बीना द्वारा ब्र. संदीप 'सरल' द्वारा पं. सुखमाल जैन-बरुआखेड़ा के सहयोग से हस्तलिखित ग्रन्थों की प्रदर्शनी भी लगायी। श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला में चिक्कबेट्टा महोत्सव पंचम श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामी के चरण विश्राम, तपस्या एवं समाधि से पावन ऐतिहासिक क्षेत्र चिक्कबेट्टा (चन्द्रगिरि, श्रवणबेलगोला) तीर्थ का महोत्सव वर्तमान में प्रथम बार जगद्गुरु परमपूज्य कर्मयोगी भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीर्ति स्वामीजी के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में दिनांक 29 जनवरी से 6 अप्रैल 2001 तक विविध धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न होगा। इस महोत्सव के अन्तर्गत जिनागम/जिनवाणी से संबंधित 108 ऐसे ग्रंथों का प्रकाशन किया जायेगा जो अनुपलब्ध या अप्रकाशित हैं। महोत्सव के उपलक्ष में ये ही 108 ग्रंथ कलश के रूप में लोकार्पित होंगे। जिनवाणी के विद्वान् सेवकों से निवेदन है कि अप्राप्य, अनुपलब्ध, प्रकाशित ऐसे ग्रंथों का, जिनका आप पुन: प्रकाशन उपयुक्त समझते हों, नाम, ग्रंथकर्ता का नाम और संभव हो तो एक प्रति महोत्सव समिति के अध्यक्ष श्री नीरज जैन, शांति सदन, कंपनी बाग, सतना (म.प्र.) फोन : 07672 - 34088 पर भिजवाने का कष्ट करें। यदि आपकी स्वयं की या अन्य किसी की भी कोई अप्रकाशित रचना/काव्य हों तो वह भी आप भेज सकते हैं। 7/8 ग्रंथों का प्रकाशन प्रारम्भ हो गया है। विस्तृत जानकारी के लिये निम्न पते पर भी सम्पर्क कर सकते हैं - श्री भरतकुमार काला 14/432, टैगोर नगर, विक्रोली (पू.), मुम्बई - 400083 फोन : 022-5743491 अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000

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