Book Title: Arhat Vachan 2000 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 98
________________ अर्हत वचन पुरस्कार (वर्ष 11 - 1299) की घोषणा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा मौलिक एवं शोधपूर्ण आलेखों के सृजन को प्रोत्साहन देने एवं शोधार्थियों के श्रम को सम्मानित करने के उद्देश्य से वर्ष 1990 में अर्हत् वचन पुरस्कारों की स्थापना की गई थी। इसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष अर्हत वचन में एक वर्ष में प्रकाशित 3 श्रेष्ठ आलेखों को पुरस्कृत किया जाता है। वर्ष 1999 के चार अंकों में प्रकाशित आलेखों के मूल्यांकन के लिये एक त्रिसदस्यीय निर्णायक मण्डल का निम्नवत् गठन किया गया था - 1. प्रो. आर. आर. नांदगांवकर, पूर्व कुलपति, ____1472, हसन बाग रोड़, न्यू नंदनवन लेआऊट, नागपुर (महाराष्ट्र) 2. श्री सुरेश जैन, I.A.S. 30, निशात कालोनी, भोपाल (म.प्र.) 3. डॉ. नीलम जैन, प्रधान सम्पादिका - जैन महिलादर्श, C/o. श्री यू. के. जैन, सेन्ट्रल ऑफ इण्डिया, पो. मीरगंज जि. बरेली (म.प्र.) निर्णायकों द्वारा प्रदत्त प्राप्तांकों के आधार पर निम्नांकित आलेखों को क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार हेतु चुना गया है। पुरस्कृत लेख के लेखकों को क्रमश: रुपये 5000/-, 3000/- एवं 2000/- की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह से निकट भविष्य में सम्मानित किया जायेगा। प्रथम पुरस्कार : कालद्रव्य : जैन दर्शन और विज्ञान, 11 (3), जुलाई 99, पृ. 23 - 32 कुमार अनेकान्त जैन, शोध छात्र, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं- 341306 द्वितीय पुरस्कार : जैन समाज में नारी की हैसियत, 11 (2), अप्रैल 99, पृ. 9-18 आचार्य गोपीलाल अमर, अमरावती, सी-2/57, भजनपुरा, दिल्ली- 110053 तृतीय पुरस्कार : णमोकार महामंत्र - साधना के स्वर : एक अध्ययन, 11(3), जुलाई 99, पृ. 49 - 52 स्व. डॉ. जयचन्द शर्मा, निदेशक - श्री संगीत भारती, शोध विभाग, बीकानेर - 334007 पुरस्कार समर्पण समारोह फरवरी-मार्च 2001 में इन्दौर में आयोजित किया जायेगा। देवकुमारसिंह कासलीवाल डॉ. अनुपम जैन अध्यक्ष कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर मानद सचिव डॉ. मनोरमा जैन को श्रमण पुरस्कार पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा प्रकाशित एवं डॉ. (श्रीमती) मनोरमा जैन (धर्मपत्नी डॉ. सुदर्शनलाल जैन, प्राध्यापक - संस्कृत, काशी हिन्दू विद्यापीठ) द्वारा लिखित 'पञ्चाध्यायी में प्रतिपादित जैनदर्शन' नामक शोध - प्रबन्ध पर उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान ने वर्ष 1998 का पाँच हजार रुपये का श्रमण पुरस्कार प्रदान कर डॉ. (श्रीमती) जैन का सम्मान किया है। ज्ञातव्य है डॉ. (श्रीमती) जैन ने डा. कमलेशकुमार जैन के निर्देशन में शोध - प्रबन्ध लिखकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से सन् 1996 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। 96 अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000

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