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की उस खोज ने कीमोथेरेपी को जन्म दिया जिसके अनुसार रासायनिक औषधियों में जिस विशेष वर्गणा में 'ताले- चाबी' जैसी साम्य विशेषता पाई गई उस 'विशेष वर्गणा' को 'कीमोफोर' नाम दिया गया (चित्र - 13) तथा 'रोगाणु' में फंसाने वाली वर्गणा को 'रिसेप्टर' कहा गया।
भावों द्वारा उत्पादित साइकोफोर से पौषधि प्रभाव
पोधि का प्रभाव
कीमोफोर
.
। कोशिका में रिसेपर
रसायन संयोजना
(
M
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भाव
→
___ साश्वोफोर प्रभाविन संयोजना
चित्र क्रमांक 13 'कीमोफोर' वर्गणाओं को 'रूप साम्य' के आधार पर उन्नत प्रभावी भी बना लिया गया। बाद में इसी को आधार बनाकर समूची इम्यूनिटी (रोग रोकथाम) थीरेपी के अन्तर्गत 'वेक्सीन'
और 'सीरा' तैयार किये जाने लगे। आज की सारी वेक्सीने इसी आधार पर निर्माण की जाती हैं। बाद में जीवाणुओं की मल वर्गणाओं की भी खोज की गई और पाया गया कि कुछ जीवाणुओं के द्वारा ऐसी भी मल वर्गणाएं छोड़ी जाती हैं जो अन्य विशेष जीवाणुओं का अंत कर देती हैं। ऐसी वर्गणाओं को एंटीबायोटिक कहा जाने लगा है। कालांतर में (चित्र - 14) अनेकों प्रकार की एन्टीबायोटिक वर्गणाऐं खोज ली गई हैं जिनका रासायनिक Si faecalis
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चित्र क्रमांक 14 अध्ययन करने के बाद उन्हीं के 'साम्य - रसायन' की 'अति उन्नत प्रभावी' वर्गणाऐं शुद्ध
अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000
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