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अर्हत् वच कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर
पाण्डुलिपि सूचीकरण योजना सर्वेक्षण आख्या
आचार्य कुन्दकुन्द हस्तलिखित श्रुत भंडार, खजुराहो
महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' *
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( प्रस्तुत आख्या यहाँ अविकल रूप से इस भावना से प्रकाशित है कि अन्य भण्डारों के प्रबन्धक इन बिन्दुओं के परिप्रेक्ष्य में अपने भण्डार को पुनर्व्यवथित कर सकें।
सम्पादक)
1978 में श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंध समिति के पदाधिकारियों / ट्रस्टियों ने एक संकल्पना की कि क्यों न बुन्देलखण्ड में यत्र-तत्र बिखरी, असुरक्षित, अव्यवस्थित हस्तलिखित शास्त्र - सम्पदा को एकत्रित किया जाये। इस संकल्पना को साकार करने के लिये इसका केन्द्र खजुराहो चुना गया। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो के तत्कालीन अध्यक्ष श्री दशरथ जैन, छतरपुर एवं तत्कालीन मंत्री स्व. श्री कमलकुमार जैन, छतरपुर के नेतृत्व में एक टीम बनी तथा श्री नीरज जैन एवं श्री निर्मल जैन, सतना जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं व जैन मनीषियों का मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त कर शास्त्र संकलन का कार्य प्रारम्भ कर दिया।
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हस्तलिखित जैन शास्त्र - सम्पदा के एकत्रीकरण के महायज्ञ में प्रथमाहुति के रूप में इन समाजसेवकों ने अपने व्यक्तिगत शास्त्र संग्रहों को प्रदान किया। कई चरणों में अलग- अलग टीमें बनाकर बुन्देलखण्ड के लगभग 250 स्थानों का दौरा किया जिनमें निम्नलिखित स्थानों से इन्हें हस्तलिखित जैन शास्त्र प्राप्त हुए महोवा, द्रौणगिरि बक्सवाहा, सुनवाहा, सरई, जासौंडा, कवरई, दरगुवाँ, तिगोड़ा, हीरापुर, बँधा, पहाड़गाँव, परा, ईसानगर, तेंदूखेड़ा, देवरान, महाराजगंज, फुटवारी, भगवाँ, बीला, मवई, बमीठा, कुटौरा, मुँगवाई, गुनवारी, धनगवाँ, वमनौरा, दलीपुर, कुमी, किशुनगढ़, शाहगढ़, पहाड़ीखेरा, वृजपुर, गुनौर, अमानगंज, फुटवारी, गैसावाद, पीरा, हटा, निवाई, अथाई, गोरखपुरा, पाटन, मड़देवरा, बरमा, फरुखाबाद, मऊसहानिया, भोंयरा, कुपी, चन्द्रनगर, इटवा, बड़ामलहरा, दमोह आदि ।
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शास्त्र संकलन में पं. अजितकुमारजी- द्रौणगिरि, मा. चन्द्रभानजी जैन - घुवारा, श्री भागचन्द्र जैन - घुवारा, श्री सि. रूपचन्द प्रकाशचन्द जैन हीरापुर, श्री कस्तूरचन्द फट्टा, श्री विजयकुमार जैन, श्री दीपचन्द जैन, पं. गोविन्ददास कोठिया अहार, पं. भागचन्द जैन 'इन्दु' - गुलगंज आदि ने अपना अमूल्य समय देकर पूर्ण समर्पण भावना से सहयोग किया और भी अनेक व्यक्तियों के योगदान से लगभग 1400 ग्रंथों का एक अच्छा शास्त्र भण्डार हो गया। इसका नाम आचार्य कुन्दकुन्द हस्तलिखित श्रुत भण्डार, खजुराहो रखा गया।
आत्मज्ञ सत्पुरुष श्री शशीभाई जी की प्रेरणा से स्थापित श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहयोग से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर में जैन साहित्य सूचीकरण का कार्य डॉ. अनुपम जैन ने बड़ी दक्षता एवं कुशलता से स्वयं के निर्देशन में प्रारम्भ करवाया। हस्तलिखित जैन साहित्य की सूचियाँ तैयार करवाने के क्रम में उन्होंने श्री दिग. जैन अतिशय क्षेत्र, खजुराहो के वर्तमान मंत्री श्री निर्मल जैन, सतना से खजुराहो शास्त्र भण्डार की परिग्रहण पंजी की फोटोकापी भेजने का अनुरोध किया। श्री निर्मलजी ने सूचीकरण कार्य में उत्साहवर्द्धन करते हुए तुरन्त पंजी उपलब्ध करवा दी।
1 अगस्त 2000 को श्री हीरालाल जैन (अध्यक्ष- श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर), उनकी पत्नी, डॉ. अनुपम जैन ( परियोजना निदेशक एवं मानद सचिव - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ) और मैं (डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' - शोधाधिकारी - सूचीकरण परियोजना) खजुराहो पहुँचे ।
अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000
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