Book Title: Arhat Vachan 2000 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 81
________________ अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर आख्या श्रत संवर्द्धन वार्षिक पुरस्कार समर्पण समारोह -कृष्णा जैन* एवं रश्मि जैन ** सराकोद्धारक संत, परम पूज्य युवा उपाध्यायरत्न मुनि श्री ज्ञानसागरजी महाराज के ससंघ मंगल सान्निध्य में श्री आदिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के मध्य अहिंसा स्थल, अलवर में श्रुत सवर्द्धन वार्षिक पुरस्कार समर्पण समारोह - 2000 दिनांक 28 नवम्बर 2000 को सम्पन्न हुआ। इसके अन्तर्गत संहितासूरि पं. नाथूलाल जैन शास्त्री - इन्दौर, डॉ. जयकुमार जैन- मुजफ्फरनगर, डॉ. शेखरचन्द जैन- अहमदाबाद, डॉ. बसवराज कलुप्पा खडबडी- मिरज (महाराष्ट्र) एवं डॉ. (श्रीमती) रश्मि जैन- फिरोजाबाद को वर्ष 2000 के वार्षिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। प्रत्येक पुरस्कार के अन्तर्गत रु. 31,000 = 00 नगद, शाल, श्रीफल, स्ति एवं स्मति चिन्ह प्रदान किया गया। श्रत संवर्द्धन संस्थान, मेरठ द्वारा अपनी सहयोगी संस्था प्राच्य श्रमण भारती के सहयोग से अभी तक 21 विद्वानों को इन पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। (विज्ञप्ति की प्रति पृ. 81 पर दृष्टव्य है) वरिष्ठ समाजसेवी एवं दिग. जैन महासभा के उपाध्यक्ष श्री उम्मेदमलजी पांड्या, नई दिल्ली की अध्यक्षता में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष साहू श्री रमेशचन्दजी जैन के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न इस पुरस्कार समर्पण समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री वी. के. अजमेरा, I.A.S. (पटना), श्री योगेशकुमार जैन (अध्यक्ष - प्राच्य श्रमण भारती, खतौली), श्री नरेशकुमार सेठी (जयपुर), श्री स्वरूपचन्द जैन 'मार्सन्स' (आगरा), श्री बच्चूसिंहजी जैन (अलवर), श्री ताराचन्द प्रेमी (फिरोजपुर झिरका), श्री खिल्लीमल जैन एडवोकेट (अलवर) आदि अनेक विशिष्टजन उपस्थित थे। ब्र. बहन अनीताजी एवं ब्र. बहन मंजुलाजी के मंगलाचरण से प्रारम्भ इस पुरस्कार समर्पण समारोह का संचालन पुरस्कार योजना के संयोजक तथा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के सचिव डॉ. अनुपम जैन ने किया। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. नलिन के. शास्त्री, समायोजक- महाविद्यालय विकास परिषद, मगध वि.वि., बोधगया के स्वागत भाषण के उपरान्त संस्थान के महामंत्री श्री हंसकुमार जैन उपाध्यायश्री के सान्निध्य में डॉ. रश्मि जैन, फिरोजाबाद ने संस्थान की अब तक को सम्मानित करते हुए साहूजी, पांड्याजी एवं डॉ. शास्त्री की प्रगति एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला एवं आशा व्यक्त की कि यह संस्थान निकट भविष्य में एक उच्चस्तरीय शोध संस्थान का रूप ले सकेगा। इस अवसर पर श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर के आर्थिक सहयोग से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा तैयार की गई आचार्य कुन्दकुन्द हस्तलिखित श्रुत भंडार, खजुराहो की 1263 पांडुलिपियों की सूची का लोकार्पण डॉ. अनुपम जैन एवं डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' द्वारा आदरणीय साहूजी एवं पांड्याजी के करकमलों से कराया गया। सूची की एक प्रति पूज्य उपाध्यायश्री एवं दूसरी श्री निर्मल जैन, सतना अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000 79 पाजणगाव 6112-2000

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