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महत्व विस्तार से स्वीकार किया है। वे यह प्रचारित करते हैं कि हृदय रोग की बीमारी ठीक करने में ध्यान भी एक प्रभावी औषधि है।
अमरीका की प्रसिद्ध पत्रिका टाइम ने 20 वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ 100 lcons and Heroes में एक स्थान डॉ. दीपक चौपड़ा को दिया है। डॉ. दीपक चौपड़ा ने उनकी पुस्तक 'परफेक्ट हेल्थ'24 में पृ. 127 से 130 पर ध्यान को औषधि के रूप में वर्णन करते हुए प्रायोगिक आँकड़ों का विश्लेषण किया एवं कई तथ्यों का रहस्योद्घाटन किया। 40 वर्ष से अधिक उम्र के ध्यान करने वाले एवं ध्यान न करने वालों की तुलना करने पर यह पाया कि जो नियमित ध्यान करते हैं उन्हें अस्पताल जाने की औसत आवश्यकता लगभग एक चौथाई (26.3.%) रह जाती है। इसी पुस्तक में डॉ. चौपड़ा ने बताया कि ध्यान से ब्लडप्रेशर एवं कोलेस्टराल सामान्य होने लगता है। हृदय रोग के आंकड़े बताते हुए डॉ. चौपड़ा लिखते हैं कि अमरीका में हृदयरोग के कारण अस्पतालों में प्रवेश की
औसत आवश्यकता ध्यान न करने वालों की तुलना में ध्यान करने वालों को बहुत कम, मात्र आठवाँ भाग (12.7%) होती है। इसी प्रकार कैंसर के कारण अस्तपाल में भर्ती होने की आवश्यकता ध्यान न करने वालों की तुलना में लगभग आधी (44.6%) होती है। डॉ. चौपड़ा लिखते हैं कि आज तक ध्यान के मुकाबले में ऐसी कोई रासायनिक औषधि नहीं बनी है जिसमें हृदय रोग या कैंसर की इतनी अधिक रोकथाम हो जाये। 1980 से 1985 के एक ही चिकित्सा बीमा कम्पनी के सभी उम्रों के 7 लाख सदस्यों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी ज्ञात हुआ कि ध्यान न करने वालों की तुलना में ध्यान करने वालों को डॉक्टरी परामर्श की औसत आवश्यकता आधी रही।
इस प्रकार के प्रयोगों एवं आकड़ों से प्रभावित होकर अमरीका के कई डॉक्टर कई बीमारियों के उपचार हेतु दवा के नुस्खे के साथ ध्यान का नुस्खा भी लिखने लगे हैं। ध्यान के नुस्खे के अन्तर्गत रोगी को ध्यान सिखाने वाले विशेषज्ञ के पास जाना होता है, जो ध्यान सिखाने की फीस लगभग 60 डालर प्रति घंटा लेता है। अमरीका की कई चिकित्सा बीमा कम्पनियाँ ध्यान पर होने वाले रोगी के इस खर्चे को दवा पर होने वाले खर्चे के रूप में मानती हैं व इसकी भरपाई करती हैं। उपसंहार
अमरीका के डॉ. राबर्ट एन्थनी5 ने इनकी पुस्तक 'टोटल सेल्फ कान्फिडेन्स' में ध्यान से तनाव व एलर्जी से मुक्ति, ड्रग एवं नशे की आदत से छुटकारा पाने में आसानी, एस्थेमा में राहत, ब्लडप्रेशर, कैंसर, कोलेस्टराल, हृदयरोग आदि में लाभ बताया है। इस तरह ध्यान के 24 भौतिक लाभ गिनाने के बाद यह बताया कि ये सब तो "साइड इफेक्ट' यानी अनाज के उत्पादन के साथ घास के उत्पादन की तरह हैं, मूल लाभ तो यह है कि आप ध्यान द्वारा आन्तरिक शक्ति के नजदीक आते हो। दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति ने ध्यान को "सावधान किन्तु प्रयासरहित (Alert and Effortless) अवस्था की उपलब्धि कहा है। 'महर्षि' महेशयोगी मन के विश्राम पाने को भावातीत ध्यान कहते हुए ध्यान को आध्यात्मिक एवं भौतिक उपलब्धि का स्रोत बताते हैं। प्रेक्षाध्यान भी प्रेक्षक या ज्ञाता- दृष्टा के रूप में सक्रियता एवं निर्विचारता के रूप में मन की अचंचलता / विश्रामावस्था बताता
आध्यात्मिक दृष्टि से तो श्रेष्ठ लाभ तभी होता है जब निकांक्षित अंग की प्रधानतापूर्वक साधक किसी लाभ की चाह न रखे व किसी हानि से नहीं डरे, वह श्रद्धान में अपनी
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अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000