Book Title: Arhat Parshva aur Unki Parampara
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 14
________________ [ १२ ] नाम आससेन ( अश्वसेन) माता का नाम वामा बताया गया है। जबकि दिगम्बर परम्परा के उत्तरपुराण और पद्मपुराण में पार्श्वनाथ के पिता का नाम विश्वसेन और माता का नाम ब्राह्मी लिखा है। वादिराज ने पार्श्वनाथचरित में पार्श्वनाथ की माता का नाम ब्रह्मदत्ता 'लिखा है। 44 इस प्रकार पार्श्वनाथ के माता-पिता के नाम श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में भिन्न-भिन्न देखे जाते हैं। दिगम्बर परम्परा के ही अपेक्षाकृत कुछ प्राचीन ग्रन्थ तिलोयपण्णत्ति में पार्श्वनाथ की माता का नाम वम्मिला कहा गया है।4। यह नाम श्वेताम्बर 'पराम्परा के वामा से कुछ निकटता तो रखता है फिर भी दोनों को ‘एक नहीं माना जा सकता। दिगम्बर परम्परा के अन्य कुछ ग्रन्थों में अश्वसेन के पर्यायवाची के रूप में हयसेन ऐसा नाम भी मिला है। नामों की यह भिन्नता विचारणीय है। पार्श्वनाथ के कुल और वंश के संबंध में श्वेताम्बर आगम समवा“यांग और कल्पसूत्र में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है । आवश्यकनियुक्ति पार्श्वनाथ के कुल का स्पष्टरूप से तो उल्लेख नहीं करती है, 'किन्तु उसमें अरिष्टनेमि एवं मुनिसुव्रत को छोड़कर शेष २२ तीर्थंकरों को काश्यप गोत्रीय कहा है। 8 दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थ उत्तरपुराण में पार्श्वनाथ को उग्रवंशीय कहा गया है। तिलोयपण्णत्ति में भी उनको उग्रवंशीय बताया है।48 यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि पार्श्व उरग वंश (नागवंश) के हो और उसी का रूपान्तरण भ्रान्तिवश उग्ग या उग्र के रूप में हो गया हो। हेमचन्द्र ने त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में और देवभद्र ने पार्श्वनाथ चरित में उनको इक्ष्वाकु कुल का बताया है। क्षत्रियों में इक्ष्वाकु कुल प्रसिद्ध रहा है और संभवतः इसीलिए पार्श्व को भी इसी कुल का मान लिया गया हो। “इस सब आधारों से ऐसा लगता है कि जैन परम्परा में पार्श्वनाथ के कुल, वंश एवं माता-पिता के नामों को लेकर एकरूपता नहीं है । नैसे उन्हें उरगवंशीय या नागवंशीय मानना अधिक उचित है। सम्भवतः उनके नागवंशीय होने से नाग को उनके साथ जोड़ा गया हो। पार्श्व का नामकरण पान के नामकरण के सन्दर्भ में आगम साहित्य में किसी घटना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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