Book Title: Aptavani 04
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 110
________________ (२०) गुरु और ज्ञानी १६३ (२१) तपश्चर्या का हेतु होता है कि भाव आता है और गुरु बना देते हैं, 'साहब, कल से आप मेरे गुरु।' प्रश्नकर्ता : हाँ, तो उन्हें गुरु बनाया इसलिए ठेठ तक उनके साथ में ही रहना चाहिए? दादाश्री : गुरु बनाने के बाद उनके उदयकर्म बदलें और वे कुछ पागल हो जाएँ तो भी उनका गुरुपद क्या चला गया? वे उदयकर्म के आधार पर पागलपन करते हैं, परन्तु जो शिष्य उनका गुरुपद सँभालकर रखें, उसे भगवान ने आराधक पद माना है। जिनकी आराधना की उनकी विराधना नहीं करनी चाहिए। प्रश्नकर्ता : ऐसा भी कहते हैं न कि गुरु के बिना ज्ञान किस तरह मिलेगा? दादाश्री : गुरु तो रास्ता दिखाते हैं, मार्ग दिखाते हैं और 'ज्ञानी पुरुष' ज्ञान देते हैं। 'ज्ञानी पुरुष' अर्थात् जिन्हें जानने को कुछ भी बाकी नहीं रहा, खुद तद्स्वरूप में बैठे हैं। अर्थात् 'ज्ञानी पुरुष' आपको सबकुछ दे देते हैं और गुरु तो संसार में आपको रास्ता दिखाते हैं, उनके कहे अनुसार करें तो संसार में सुखी हो जाते हैं। परन्तु वहाँ पर यह दुःख, यह उपाधि (बाहर से आनेवाले दुःख) जाती नहीं न? यह उपाधि तो हमेशा के लिए चिपटी हुई ही रहती है। ये सब लोग गुरु को भजते हैं, तब यदि बहुत हुआ तो सांसारिक सुख थोड़ा-बहुत मिलता है, परन्तु उपाधि नहीं जाती। आधि, व्याधि और उपाधि में समाधि दिलवाएँ वे 'ज्ञानी पुरुष'। तप, त्याग और उपवास प्रश्नकर्ता : व्रत, तप, नियम ज़रूरी हैं या गैरज़रूरी हैं? दादाश्री : ऐसा है, ये केमिस्ट के यहाँ जितनी दवाइयाँ हैं वे सभी जरूरी हैं, पर वह लोगों के लिए जरूरी हैं, आपको तो जो दवाइयाँ जरूरी हैं उतनी ही बोतलें आपको ले जानी हैं। वैसे ही व्रत, तप, नियम, इन सभी की जरूरत है। इस जगत् में कुछ भी गलत नहीं है। चोरी करता है वह गलत नहीं है, ये इन्कम टैक्स वसूलते हैं वह भी गलत नहीं है। अपनी जेब कट जाती है वह तो कुदरत का टैक्स है! उस टैक्स की वसूली करनेवाले चोर लोग ही तो हैं ! उसमें कुछ गलत है ही नहीं। जप, तप कुछ भी गलत नहीं है। परन्तु हर एक की दृष्टि से, हर एक की अपेक्षा से सत्य है। प्रश्नकर्ता : तो जप-तप करना ज़रूरी है या नहीं? दादाश्री : नहीं, ड्रगिस्ट के वहाँ सभी दवाईयाँ होती हैं तो क्या सारी दवाईयाँ हमें खाने की ज़रूरत है? आपको जितना दर्द हो उतनी ही दवाई. एकाध-दो बोतलें लेनी होती हैं। सभी बोतलें ले जाएँ तो मर जाएँगे उल्टा! जप-तप का शौक़ हो तो वह करना। प्रश्नकर्ता : जप-तप का शौक़ होता है? दादाश्री : शौक़ के बिना तो कोई करता होगा? ऐसा है, यह स्त्रियों का शौक़, शराब का शौक़, बीड़ी का शौक़, वे सभी शौक़ अशुभ शौक़ कहलाते हैं। और ये जप-तप वे शुभ के शौक़ हैं। हमेशा ही रोज-रोज़

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