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गान्धार में आचार्य बहुलाश्व के दर्शन किये। फिर सिन्धु सौवीर से भृगुकच्छ हो कर, उज्जयिनी, कौशाम्बी, श्रावस्ती, चम्पा, मगध होता हुआ, वैशाली पहुंचा था। कल ही तो लौटा है।'
'तब तो बहुत खबरें लाये होगे। कोई ख़ास ख़बर है, सोमेश्वर ?' ..'बड़े खिलाड़ी हो, वर्द्धमान ! ख़बरों का दरिया ख़द बहा कर, कैसे बेख़बर और भोले बने बैठे हो! भरत क्षेत्र से ले कर, हैमवत्, विदेह, हैरण्डवत्, ऐरावत तक, जम्बूद्वीप की आसमुद्र धरती में भूचाल उठाया है तुमने। लवणोदधि के पानी उबल रहे हैं, और जम्बूद्वीप के केन्द्रस्थ जम्बूवक्ष की जड़ें हिल रही हैं।'
'अरे कविता ही करते चले जाओगे, सोम, कि कुछ कहोगे भी !'
'संथागार में उस दिन तुम बोले, तो आर्यावर्त के सोलहों महाराज्य बौखला उठे हैं। वैशाली की गण-परिषद विभाजित हो गई है। वहाँ अन्तर-विग्रह प्रबलतर हो रहा है। तुम्हारे स्वपक्षियों और विपक्षियों में बराबरी की टक्कर है। वैशाली गृह-युद्ध के ख़तरे में है।'
'तो मेरी वैशाली-यात्रा सार्थक हो गई। सचाई यह है, मित्र, कि हम सभी तो अपने भीतर विभाजित हैं। और वह विभाजन खुल कर सामने आ जाना जरूरी था। सृष्टि के कण-कण, जन-जन से लगा कर, जातियों और राष्ट्रों तक में सर्वत्र एक अन्तविग्रह सदा चल रहा है। वह फट पड़ा है, तो बड़ा काम हो गया। लगता है विस्फोट बुनियाद में हुआ है, तो सम्पूर्ण संयुक्ति हो कर रहेगी। और बताओ, अवन्ती और मगध क्या कहते हैं ?' ___ 'एक अजीब तमाशा हुआ है। सारे राजे-महाराजों पर यह आतंक छा गया है, कि गणतंत्रों का यह बेटा, हमारे सारे राज्यों में बलवा करवा कर, तमाम आर्यावर्त में वैशाली का गणतंत्री संघराज्य स्थापित करने का षड़यंत्र रच रहा है। उधर गणतंत्रों के दिलों में यह दहशत पैदा हो गई है कि वर्द्धमान साम्राज्यवादी है, और वह बिम्बिसार को अपना हथियार बना कर, अखण्ड भरतक्षेत्र में अपना एकराट साम्राज्य स्थापित करना चाहता है ! . . .'
मुझे ज़ोरों की हँसी आ गई। बोल पड़ा मैं : 'बहुत अच्छा, बहुत अच्छा ! बड़ा मनोरंजक है यह उदन्त सोम, सचमुच । ये बड़े-बड़े शस्त्र-सज्जित छत्रधारी, इनके अतुल शस्त्रास्त्रों से लैस लक्ष-लक्ष सैन्य, इनके फौलादी दुर्ग, और मैं अकेला निहत्था, नादान लड़का! और ये सब मुझ से भयभीत हैं, आतंकित हैं ? सचमुच अद्भुत है महासत्ता का यह खेल !'
'तुम्हारी महासत्ता को शायद, पहली बार इतिहास में ऐसा खिलाड़ी मिला है ! चारों ओर यह स्वयम्-सिद्ध देख आया हूँ कि इन तमाम शस्त्र-स्वामियों, इनके
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