Book Title: Anusandhan 2003 01 SrNo 22 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 9
________________ महोपाध्याययशोविजय-लिखित कर्मप्रकृति-संक्षेप विवरणम्-(अपूर्ण) ॥ . सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ‘कम्मपयडी'ना नामे प्रसिद्ध 'कर्मप्रकृति' ग्रंथ तथा तेना परनी उपाध्याय श्रीयशोविजयजीकृत विस्तृत टीका-खूब जाणीतां छे. परंतु मारा हाथमां आवेल एक पुराणां पानांनी झेरोक्स-तेमांनुं लखाण-जोतां एम लागे छे के उपाध्याय यशोविजयजीए कर्मप्रकृतिनी मूल गाथाओगें संक्षिप्त शब्दार्थात्मक विवरण रचवा, पण आदर्यु होवू जोईए. आ पार्नु पंचपाठ प्रतनुं प्रथम पार्नु छे. प्रत · कर्मप्रकृतिनी मूळ गाथाओने आलेखे छे. प्रथम पत्रमा ८ गाथा छे, ने नवमी गाथानी शरुआत मात्र छे. प्रतना प्रारंभे "सकलपण्डितशिरोमणि पण्डित श्री ५ श्रीलाभहर्षगणिपरमगुरुभ्यो नमः ॥" आम अक्षरो छे, ते पछी तरत ज गाथाओ छे. पत्रनी चोतरफ यशोविजयजीए स्वहस्ते लखेलुं विवरण छे, जे अत्रे संपादनपूर्वक प्रस्तुत छे. एम लागे छे के आ प्रत यशोविजयजीनी पोतानी प्रति हशे, अने पोते बाल जीवोना बोध खातर आ संक्षिप्त विवरण रचवानो उपक्रम को हशे. साथे साथे एम पण लागे छे के आ काम तेओ पूरुं नहि करी शक्या होय. कारण के उपलब्ध प्रथम पत्रमा मूळ गाथा ८ छे, ज्यारे विवरण फक्त ७ गाथार्नु ज लखेलुं छे. आठमी गाथा- विवरण समाई शके तेटली जग्या तो पानामां बची ज छे. परंतु लखाण ७मी गाथाना विवरण बाद अटकी जाय छे. ते परथी अनुमान थाय छे के विवरणY काम अहीं ज अधूरुं रह्यं हशे. झेरोक्सनुं आ पार्नु कया भंडारनुं हशे ते ख्याल पडतो नथी. मने स्मरण छे ते प्रमाणे आवां केटलांक प्रकीर्ण झेरोक्स पानां मुनि श्रीधुरंधरविजयजीए मने केटलांक वर्ष अगाऊ मोकलेला, तेमांनुं आ पार्नु होवू जोईए. ए जे होय ते. पण अहीं तो उपा. यशोविजयजीनी एक नवी ज रचनानी भाळ मळी, अने ते पण तेमना पोताना हस्ताक्षरमां ज, ते घणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78