Book Title: Anusandhan 2003 01 SrNo 22
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 76
________________ __ 70 - अनुसंधान-२२ बंधारणविद् डॉ.एल.एम.सिंघवीओ जैन हस्तप्रत भंडारोनी विशेषतानी वात करीने विपुल संख्यामां मळती जैन हस्तप्रतोनो ख्याल आप्यो हतो. सांस्कृतिक खाताना प्रधान श्री जगमोहने भगवान महावीरना २६००मा जन्मकल्याणक महोत्सवनी उजवणीना उपलक्षमां सरकारे अकसो करोड फाळव्या अने तेनो जैनतीर्थोनी सुविधाओ वधारवा माटे केवो उपयोग कर्यो तेनी विगतो आपी इन्स्टिट्यूट ओफ जैनोलोजीना प्रोजेक्टना आयोजन तेमज तेने मळेला विश्वना जुदा जुदा देशोना सहयोगनी प्रशंसा करी हती. आशरे छ करोड रुपियाना खर्चे तैयार थनारा आ प्रोजेक्ट माटे इन्स्टिट्यूट ओफ जैनोलोजीओ भारत सरकार पासे बे करोड रू.नी मांगणी करी हती. ओ अंगे प्रतिभाव आपता वडाप्रधान श्रीअटल बिहारी वाजपेयीओ कह्यु के जैन दर्शन पासेथी आ जगतने घj शीखवानुं छे अने कार्यनी महत्ता प्रमाणीने ज तेओओ आ कार्य अंगे पेट्रन इन चीफ थवानुं स्वीकार्यु हतुं. तेमणे आ माटे बे करोड रुपिया आपवानी जाहेरात करी. संस्थाना चेरमेन श्रीरतिभाई चंदरयाए आ अंगे आनन्द अने आभारनी लागणी प्रगट करी अने हस्तप्रत विषयक स्मृतिचिह्न अर्पण कर्यु पछी डॉ. सिंघवी अने श्रीदीपचंदभाई गार्डीओ पण वडाप्रधानने स्मृतिचिह्न अर्पण कर्यु हतुं. (सौराष्ट्र समाचार-दैनिक वृत्तपत्र, ता. १५-१२-२००२, भावनगरना सौजन्यथी) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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