Book Title: Anusandhan 2003 01 SrNo 22
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 45
________________ January-2003 39 भुई ५ फल ६ पाणी ७ धूप ८ ॥ सतरे प्रकारे पूजा - न्हवहण विल्हेवण १, चक्षु २ वा वस्त्र, छूटां फूल ३, फूलनी माला ४, वर्णक फूल ५, कर्पूर चूर्ण ६, आभरण ७, फूलहरूं ८, फूलपगर ९, आरती-मंगलेवु १०, दीवु ११, धूप १२, नैवेद्य १३, फल १४, गीत १५, नृत्य १६, वाजिंत्र १७ ।। एकवीस प्रकारे पूजा - पषाल १ विलेपन २ वस्त्रयुगल ३ वास ४ फूल ५ आभरण ६ धूप ७ दीप ८ फल ९ अक्षत १० नैवेद्य ११ पानीय १२ पांने १३ सोपारी १४ छत्र १५ चामर १६ वाजित्र १७ गीत १८ नाटक १९ स्तवस्तुति २० कोशवृद्धि २१ ॥ शब्दकोश अंघोलि स्नान पुंजीनइ पुंजीने-जीवरक्षा थाय तेम साफ करीने भोंय-भूमि उत्तरासंगे ऊपरj-खेस वस्त्र किरिडिआं जर्जरित के करोळियां वाळां (?) साध्या सांधेलां आंतरी वस्त्रने छेडे थोडाक तार काढीने छेडा काढवा ते पूजाव्यतिरेक पूजा सिवायर्नु एकसाडिउ एकवडो (खेस) उपस्कर सामग्री सृष्टिक्रम एटले आपणे डाबेथी जमण जq ते, प्रभुने जमणेथी डाबे. चिहुं रूपे घार 'मुखे - चौमुख रूपे मुखकोश मोढा पर बांधवानो रुमाल सूकडि सुखड-चंदन जुदी जुदी ऊसारि काढी, राखी रुमालना आठ पड(करवा) सृष्टिं जूजूई आठपुडु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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