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January-2003
पूरब भवें पाप बंधी आया इह भव बांध्या होय रे । ते आलोयणथी छूटेवा सूत्रानुसारें जोय
रे
समे०३ वीसस्थानिक इहां आवीनें तप उच्चारण कीध रे विधिसहित किरिया करै तीर्थंकर गोत्र वलि लीध रे समे०४ पूरब पछिम दक्षिण उत्तर ट्रॅक सोहै मध्य भाग रे कूण विदिस प्रतें जइ छै नमुं हूं चित्त धरि राग रे समे०५ धन धन तपगच्छ राजवी श्रीविजयधरमसूरिंद रे तेह राजें कुलमंडणो तसु श्रावककुलचंद रे समे०६
ओसवंश बिभूषण कुल में संघवी सुकालचंद साह रे देहरो कराव्यो गिरिसेहरो चित्ते आणी उमाह रे स० ७ संवत् अढारें पचवीस में माह सुकल शुभ मास रे सांवलिया तेवीसमो ___ थापी श्री प्रभू पास रे स० ८ ट्रंक रलियामणो ऊपरै कीधुं देहरो वीसुं ठाम रे | नवो उधार तेणे करायो राखी टेक अरु नाम रे स० ९ आठ जोयण विस्तारमै तीरथ तेह प्रमाण रे ऊचो जोयण पुण एक छै अति उत्तम सुथांन रे स०१० कदली आम्रतरु घणां जिहां कर जोडी सुरवेल रे झाड झंगी अति मोटडी सुर मांडै रंगरोल रे स०११ नदियां नाला सोहामणा झरै नीझरणा अनेक रे जात्रीजन पूछे उतर्या जल वरसै ए टेक रे स० १२
ढाल ६ मेंदी रंग लागो - ए देशी ॥ स्वर्ग अपवर्ग ते सही समेतशिखर गिरि एम, तीरथ रंग लागो नैन सलूनें निरखने लागो रंग मेंहदी जेम तीरथ० मन उलट धरी में करी जात्रा शुद्ध करी भाव ती० चिहुं दिस तीरथ निरखिया रे हुवो मन अति उछाह ती० २ जाई जुई मोगरा रे चंदनतरु चंपो वेल ती०
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