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January-2003
आ लखाण उपरथी एम समजी शकाय के विनयविजयजीनी शिष्यपरंपरा सं. १८७८ सुधी अने ८ पाट पर्यंत तो विद्यमान हती.
उपरना लखाणमां कीर्तिविजयजीनुं नाम छे त्यां मार्जिनमां अस्पष्ट लखाण आम वंचाय छे : "कीर्तिविजय उपाध्यायना गुरुभाई जन (जिन?) वीजय तेहना जसवीजें उपा... ।"
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