Book Title: Anusandhan 2003 01 SrNo 22
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ January-2003 जनमै रे जिनराज सुरपति आवै रे सब महोच्छव काज कै त्रिभुवनपति तिलकमा रे उगति कै सुख साज क ॥२॥ ( ? ) अजित अयोध्या जिन पुरी रे सावथी संभवस्वांम वनिता अभिनंदन प्रभू सुमति प्रणमूं रे कौसल्या ठाम क ||३|| कौसंबी जिन पदमप्रभू रे वणारसियै सुपास चंदाप्रभू चंद्रावती सुविध जनमे रे काकंदी मांहि कै ||४|| शीतल जिन भद्दिलपुरै रे सींहपुरी श्रेयांस कंपिलपुर विमलनाथजी रे अनंत अयोध्या रे लह (हो) अवतंस ॥५॥ रत्नपुरी मै धरमजिनेसर संतिनाथ गजगाम कुंथु गजपुर सहरमे रे हथिनागे अठारमो स्वाम क ||६|| मल्लिनाथ मिथिलाधिपती रे मुनिसुव्रत राजगृह राय महिलायै नमिनाथजी रे पासस्वामी रे बणारसी राय कै ॥७॥ 45 यां नगर्यां प्रभू जनम लह्यो रे वीस प्रभू जगदीस ए गिरि सहू शिव पामिया रे काउसगध्यान वीस महीश कै ॥८॥ ढाल ३ । आदर जीव० ए देशी || श्रीवीस जिनेशर सीधा इण गिरि गणधर साधु अनंतजी इण ठामै वलि सीझसी अनंता भासै इम भगवंतजी श्रीवीसजिनेशर० १ चैत्र सुदी पंचमी दिन सीधा अजित संभव जिनरायजी उज्वल याने घरी काउसग्गे अजित ( समेत ? ) शिखर गिरि आयजी श्री० अभिनंदन जिन चोथा स्वामी अष्टमी सुदि वैशाखजी इण ठामै शिव संपति पामी करी आगमनी साखजी Jain Education International For Private & Personal Use Only श्री० ३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78