Book Title: Anusandhan 2003 01 SrNo 22
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 46
________________ 40 निर्माल्य / निर्माल गई कालनी पूजा-वासी पूजानो उतारो जीवहिंसा न थाय तेनी चीवट यतना प्रक्षालन प्रणाळ-नीकवाळो सुगंधी वाळानी जूडी अंग लूछवानां वस्त्र पषाल पाली वालाकूची आंगलूहणा सुहाली भैरवना सषर/सपर निरवद्य भूमिका उलंडाई कुंथुआ फूलि - भावि आशातना भणीइ षणीइ सृष्टिपूजा पासानी मंगलेवु भंडारि मूंकीई हाथा तुंदुल डालरि तालजोडु गाठीउ उरसीउ सुंदर सुपेरे निर्जीव धरती ओळंगाय झीणी जीवात Jain Education International फूग जाणी बूझीने दोष / पाप भणीए / बोलीए खोतरी - खंजवाळीए प्रभुने जमणेथी डाबे पूजा पाषाणनी(?) मंगलदीवो पैसा मूकवा हाथना थापा थांट पषाल लूंहणुं - भोंयलूछणुं नेवानि चोखा-अक्षत वासण विशेष (?) सूंडली - टोपली - (म.गु.श. को . ) पंखो (?) टुकडो घसवानो पत्थर - ओरसियो -टाट (तासक) (?) अनुसंधान-२२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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