Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 5
________________ 3 अनुक्रम वाचक-सिद्धिचन्द्रगणिकृतः मङ्गलवादः ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि २. सोमतिलकसूरि-कृत : शत्रुजय- सं. विजयप्रद्युम्नसूरि १० यात्रा-वृतांतः महेश्वरकविरचिता संशयगरलजाङ्गुली- सं. विजयशीलचन्द्रसूरि नाममाला ४. आ.वर्धमानसूरि-शिष्य-श्रीसागरचंद्र सं. रमणीक शाह मुनिविरचित उत्तरकालीन अपभ्रंश भाषा-बद्ध नेमिनाथ-रास विजयमानसूरिकृत ‘पट्टक' सं. महाबोधिविजय श्रीपुण्यहर्षरचित लेखशृंगार सं. महाबोधिविजय ७. जगडूसाह - छंद सं. कांतिभाइ बी. शाह हस्तप्रतनी प्रशस्तिमा प्राप्त नगरो के डॉ. कनुभाई शेठ गामो अंगेनी ऐतिहासिक सामग्री : एक नोंध ९. ट्रंक नोंधो (१) 'व्यवहार भाष्य'नी एक गाथानी विजयशीलचंद्रसूरि पाठचर्चा (२) हेमचंद्राचार्यरचित कृष्णगोपीना ह. भायाणी प्रणयने लगतुं एक मुक्तक (३) शब्दप्रयोगो ह. भायाणी (४) बे परंपरानो एक समान पौराणिक विजयशीलचन्द्रसूरि ; कथाघटक ह. भायाणी १०. Desis Employed in Pradyum- Muni Rajhans Vijay navijaya's Samarāditya-Kevali-Ras ११. Notes on a few words H.C. Bhayani from Bollée's - Glossary to पिंडनिज्जुत्ति and ओहनिज्जुत्ति १२. Some sporadic notes on H. C. Bhayani the Bșhaddesi 33. Notes in some Prakrit wards 1С Зауат १४. संशोधन-समाचार : मेरु तुंग-- सं. डॉ. नारायण म. कंसारा १०८ बालावबोध- व्याकरण १५. वर्षानुं आगमन ह. भायाणी १६. प्रकीर्ण १०० १०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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