Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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आवृ. मां जे शब्दरूप मळे छे ते त्श्रुति वाळं छे. एटले मूळ साइयंकार ज छे. पासम. मां साइयंकार माटे पिंभा. ४२ नो निर्देश छे. अपभ्रंशमा साइउ शब्द आलिंगन ना अर्थमा वपरायो छे. साइउ देइ एटले ‘स्नेहीजनने मळतां तेने 'भेटे छे. गजरातीमां सांई आ ज अर्थमा प्रचलित छे. परगाम रहेता स्वजनने माटे ते गाम जनारने एमने मारा वती साई देजो कहेवानो रिवाज छे. कहेवत छे के नहीं संदेशो के नहीं सांई, तमे त्यां ने अमे आंही . एटले कुशळप्रश्न, कुशळवार्ता एवो अर्थ विचारणीय छे.
__ (विगत माटे जुओ रत्ना श्रीयान, Des'ya and Rare Words from Puspadanta's Mahapurana १९६९).
(६) गुज. चणवू, हिं चुगना ग. चणवं नो एक अर्थ छे 'चांचथी एक एक दाणो पकडी गळी जवानी पक्षीनी क्रिया. चण (स्त्री.) एटले 'पक्षीओने माटे आ सारु नखाता अनाजना दाणा.
वृ.ग.को. मां एना मूळ तरीके सं. चिनोति एकळं करवं, ढगलो करवों, आप्यो छे. प्रा. चिणइनो पण ‘फूल वगेरे चूंटीने एकठां करवा एवो अर्थ छे.
प्राकृतमा चिणइ उपरांत चुणइ पण मळे छे. हेमचंदे अनियमित रीते एक स्वर- स्थान बीजो स्वर लेतो होवानं गणीने चणइने चिणइ उपरथी थयेलो मान्यो छे (सिहे. ४.२२८). टनर तुन्न जेवाना प्रभावे इ नो उ थयानं सूचव्यं छे (इ लें. '४८१४). अर्थ थोडोक बदलायो छे. काओ लिंबोहलिं चुणइ (पासम.) एवा प्रयोगमा 'चांचथी ठोलीने खावं एवो अर्थ छ, जे चणवा ना अर्थनी निकट छे. एथी चणवू ना मूळ तरीके प्रा. चिणइ नहीं पण चुणइ ज स्वीकारवानो रहे.
आनं समर्थन चौदमी शताब्दी लगभगना एक जैन परातन प्रबंधथी मळे छे. (मनि जिनविजय संपादित परातन प्रबंध संग्रह मां G संज्ञक हस्तप्रतमाथी आपेल भोजराजाना वृत्तान्तमां, पृ. २२ उपरनो, परिच्छेद ४१ नीचे आपेलो प्रसंग). भोजराजानी सवारी नीकळी त्यारे सौ तेने नमस्कार करता हता, पण एक हाटमा उभेला एक माणसे नमस्कार न कर्या. राजाए तेनी सामे जोयं एटले तेणे त्रण आंगळी ऊंची करीने बतावी. राजाने ए संकेत समजायो नहीं. बीजे दिवसे त्यांथी राजानी सवारी नोकळी त्यारे पेलाए बे आंगळी अने त्रीजे दिवसे एक आंगळी ऊंची करीने राजाने बतावी. पछी भोजे तेने बोलावीने संकेतोनो खुलासो पूछयो. एटले ते माणसे कहयं पहेली वार आपनां दर्शन कर्या त्यारे मारे घरे त्रण दिवसनी चूणि हती, पछी बे दिवसनी, पछी एक दिवसनी. राजाने नमस्कार करीने पण शं? अहीं चूणि एटले 'चण - एटले के 'पेट पूरत अनाज. एटले भोजे तेने वर्षासन बांधी आप्युं.
अहीं चूणि रोज खावाना अनाज माटे लाक्षणिक अर्थमा वपरायो छे. चुणइ उपरथी मध्यकालीन गजरातीमां थयेला उ > अ एवा परिवर्तनने परिणामे चणवं थयो. पण अहीं तो
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