Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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कणयारह कसवट्टइ दिन्नी. आमां बे-त्रण बाबत ध्यानपात्र छे. पहेलं तो ए के हेमचंदना उदाहरणमां ढोल्ला सामला छे त्यारे अहीं छे ढुल्लउ (के ढोल्लउ) साामलउ. अंत्य अ नो आ थयानं उदाहरण आपवानं होवाथी हेमचंद्राचार्य समक्ष ढोल्ला सामला एवो पाठ ज होई शके. पण आ प्रकारनां कंठपरंपरामा प्रचलित रहेलां पद्योनो पाठ केटलेक अंशे प्रवाही रहेतो. तेमां शब्दस्वरूपनी पण एकवाक्यता घणी वार नथी जोवा मळती. प्रथमा एकवचन जे बोली-प्रदेशमा अउ प्रत्ययवाळु हतुं ते प्रदेशनो आ पाठ छे.
बीजं कणयारह पाठ भ्रष्ट छे. तेने स्थाने कणय-रेह जोईए. रनी पडिमात्रा य नो कानो बनी गई छे.
त्रीजं, हेमचंद्रीय उदाहरणना उत्प्रेक्षावाचक णाई ने स्थाने अहीं छज्जइ छे. ए पाठमां, संदर्भथी समजाइ जतुं जे अनुक्त राख्यं छे ते खुल्लुं व्यक्त थयु छे. एटले एने पाछळनो पाठ गणी शकीए. आम
ढोल्ला सामला (के ढोल्लउ सामलउ), धण चंपावन्नी । नाई कणय-रेह, कसवट्टइ दिन्नी ॥
एवा पाठमा छंदनी अशुद्धि रहेती नथी. ९+ १०, ९ + १० मात्राना मापवाळी आ मलयमारुत नामना छंदनी आंतरसमा चतुष्पदी छे.
'स्वयंभूछंद नुं मलयमारुततुं उदाहरण : गोरी अंगणे, सुप्पंती दिट्ठा । चंदहो अप्पणी, जोण्ह वि उव्विट्ठा ॥ (स्वछं० ६ - ४२, ९१) (स्वयंभूछंद मां विउविट्ठा पाठ भ्रष्ट छे.) 'आंगणामां सूतेली गोरीने जोई एटले पछी चंदने पोतानी ज्योत्स्ना पण अबखे पडी. 'छंदोनुशासन ने उदाहरण : देक्खिवि वेल्लडी, मलय-मारुअ-धुआ । सुमरिवि गोरडी, पंथिअ-सत्थ मुआ ।। (छंदो० ६-१९, २०) मलयपवने कंपती वेलडीने जोईने पोतानी गोरी सांभरी आवतां पथिको मरणशरण
थया.'
___'कविदर्पण' (१३मी शताब्दी लगभग)मां आपेलं मलयमारुतन उदाहरण ('कोईकनु छे एवा उल्लेख साथे) पण जोईए :
तत्ती सीयली, मेलावा केहा । धण उत्तावली, प्रिय -मंद-सिणेहा ।। (वेलणकर-संपादित पृ. २३, १४-२).
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