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धर्मकृत सुभद्रा-सती-चतुष्पदिका (अनुमाने ई.स. १२१० नी आसपास)
कनुभाई शेठ
प्रास्ताविक
प्राचीन – मध्यकालीन गुजराती साहित्यमा विकसेला अनेक काव्यप्रकारोमा चतुष्पदिका (चोपाई) पण एक नोंधपात्र प्रकार छे. चतष्पदिका-चोपाई घणीवार रास प्रकारना पर्याय तरीके पण उल्लेख पाम्यो छे. नेमिनाथ चतुष्पदिका (ई.स. ? ए गजराती साहित्यनी प्रथम चतुष्पदिका कृति छे. अत्रे, 'धर्म कविनी कृति सुभद्रा सती चतुष्पदिका पपरिचय प्रकाशित करी छे.
प्रत परिचय अने संपादनपध्धति प्रस्तुत कृतिनुं संपादन प्राप्त एकमात्र प्रत परथी करवामां आव्युं छे. स्व. अगरचंद नाहटाना (पोथी क्रमांक २१८) संग्रहमा रहेली एक प्राचीन गुटका प्रकारनी हस्तप्रतमा ते पत्र क्रमांक १८८-१९१ पर प्रस्तुत कृति उतारेली छे. प्रतनो पाठ कायम राख्यो छे. क्वचित सुधारो के वधारो ( ) कौंसमा मुक्यो छे.
काव्यना कर्ता : धर्ममुनि प्रस्तुत कृतिना कर्ता धर्ममनि होवानं काव्यना अंते मळता उल्लेख परथी कही शकाय. सुभद्र मंदिर पहुती जाव, सासू ससूरऊ हरखिउ ताव, जिणवर धंम करहु ए कवित्ते, जिनशासण हुइ पर जयवंतो ४०
धर्मे रचेली अन्य बे कृतिओ स्थूलिभद्ररास अने जंबूस्वामिचरिय' २ मळे छे. ते आ ज कविनी रचना होय तेम लागे छे. केम के आ त्रणे कृतिओ एक हस्तप्रतमा सचवायेली छे. जो के अत्रे नोंधवं घटे के आ कृतिनी भाषा एटली प्राचीन रही नथी.
जं फल होइ गया गिरनारे, जं फल दीन्हइ सोना भारे, जं फल लखि नवकारिहि, तं फल स भदा-चरितिं स णिहिं
१. प्राचीन गूर्जर काव्य संचय. संपा. ह. च. भायाणी अने अगरचंद नाहटा. २. प्राचीन गूर्जर काव्य संग्रह. संपा. सी. डी. दलाल
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