Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 39
________________ १४९. १५०. १५१. १५१क. १५२. १५२क. १५४. १५५. १५६. १५७. १५८. १५९. १६०. १६१. १६२. बहु-जाणय रुसिउं सक्कं ३-१४१ बंधेउं कुज्जय-पसूणं १-१८१ बाह-सलिल-पवहेण उल्लेइ १-८२ गा० ५४१ (पाठा० णिवहेण ओल्लेइ : उत्तरदलनी अंतिम १७ मात्रा) विसतंतु-पेलवाणं १-२३८ वीहते रक्खसाणं च ३-१४२ भणिअं च णाए ३-७० भमर-रुअं जेण कमल-वणं २-१८३ भमररुअं तेण कमल-वणं २-१८३. भुआ-यंत, भुअ-यंतं १-४ भोच्चा सयलं पिच्छिं वगेरे 'शान्तिनाथचरित्रं माथी मइ वेविरीए मलियाई ३-१३५ मउअत्तयाइ २-१७२ मलय-सिहर-खंडं २-९७ महण्णव-समा सहिआ १-२६९ मह पिउल्ला ओ २-१६४ महमहइ मालई ४-७८ महमहिअ-दसण-किसरं १-१४६ महरे-व्व पाडलिउत्ते पासाया २-१५० मंदरयड-परिघटुं २-१७४ माई काहीअ रोसं २-१९१ मामि सरिसक्खराण-वि २-१९५ गा० ८५० (प्रथम दलनी आरंभनी १२ मात्रा) मुद्ध-विअइल्ल-पसूण-पंजा १-१६६ 'कर्पूरमंजरी, १-१९ : वसंततिलकाना छेल्ला चरणना अंतिम ११ अक्षर रे हिअय मडह-सरिआ २-२०१ गा० १०५ (प्रथम दलनी आरंभनी १२ मात्रा) लज्जालुइणी २-१७४ गा. १२७ (प्रथम दलनी आरंभनी १२ मात्रा : अहअं लज्जालुइणी) लोगस्सज्जोअगरा १-१७७ 'आवश्यक सूत्र, चतुर्विशति-स्तव १ [३४] १६३क. १६४. १६५. १६६. १६७. १६८. १६९. १७०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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