Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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उपाध्याय श्रीयशोविजय कृत (?)
गांगेय-भङ्ग-प्रकरणम् ।। नमिऊण महावीरं गंगे यसु पुट ठभंगपरिमाणं । पुस्वप्पगरणसे सं वुच्छं सुगुर व एसे णं ॥१ वाणियगामे नयरे भयवं वीरो समोसढो नाणी । पासावच्चिज्जो अह गंगे ओ आगओ तत्थ ।।२ तस्सासं का जाया एसो किमु अस्थि इंदजालु त्ति । पसिणाई महत्थाई पडिपुच्छइ हे उणा ते ण ।। ३ पच्छा--उत्तर सयलं नायव्वं पंचमंग-नवमसया । इह उण संखे वत्थो भणामि निच्चं ससरण ठा ।।४ एगम्मि उ नरगम्मि भंगा सग हुँति जइ असंखेज्जो । इगवीसा दुग निरए पणतीसा तिन्नि नरगम्मि ।।५ च उसु वि पणतीसाओ पंचसु इगवीस भंगसंखाओ । छग नरगे सग भंगा सत्तसु पुढवी सु एगो अ ।।६ जे एगम्मि उ नरए सग भंगा छग्गुणा बियालीसं । दुग निरयाओ दुभागे हवंति हरिया हु इगवीसा ।।७ एगूणा उण किज्जइ निरयपमाणेण दिज्जई भागो । इगवीसा पणगुणिया जायइ पंचुत्तर सयं च ।।८ ते य तिभागे हरिया हुंति पणतीस तिन्नि नरगम्मि । चत्तसयं चउ भागे हरिया पणतीसभंगाओ ॥९ ति गुणा पंचुत्तरसय - भंगा इगवीस पंचभागम्मि । बायालीसं दुगुणा छग भागे सत्त भंगा य ।।१० अह उण विगप्पमाणं एगविगप्पो अ दुन्नि जीवाणं । तिग जीवाणं दु जो गा दुन्नि तिगजो ग एगेव ।।११
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