Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
गुज्जरि बोलइ चाल प्रिय, मज्झ म गोरह पूरि । दे सण सुणहु सुहावणिय, वंदे विणु ससूरि ।। १०
महियलि विमलउ सयलु जलु, वय पहुतउ आसोय-मासु । धमसूरि-केरउँ चित्तु जिम्व, वय निम्मलु ठिउ आगासु ॥ ११ चंदा चंदा चंदडा, वय चंदि ण डउं करि चंगु । मंडि-न महि तुहुँ हंसडा, वय ५ भमरुला कमलिहिँ रंगु ॥ १२ जससुरि धवल ह पम्हल हैं, वय कु वलय-दल-सरलाहँ । साव - सलोणह तुम्ह तणहँ, वय बलि-किज्जउँ नयणाहँ ॥ १३ वलि वलि निम्मल रलिय-रूव, वय माणिकथारी'६ रत्ति । प्रिय पलाणि-न सांढडिय, वय वंदहु धमसुरि भत्ति ।। १४
(४)
काति यडउ रलियावणउ, मास पह त उ लोए । पिल्लि-न रहु प्रिया ! देखिवउ, गुरु धमसुरि [......... || १५
हेलि ! ए गुरु धमसूरि ...... ...................] [.......................................] । पाक उ कलम-कियार कण, उहु सू यडउ चणे इ ।। १६
पिल्लि -न रह....... खिल्लि खाउल रासड उ'९, नाचिवि डोल्लिवि बाह । वादिय सवि हाराविया, धमसु रि विद्धि य राह ।। १७
पिल्लि - न....... दी हर-सिह दीवालि यहिं, दीवड़ ला पजलं ति । जससुरि-केरा विमल गुण, तिहु यणु धवलु करंति ॥ १८
पिल्लि - न .......
१४. वय चडावय चंदिण० १५. भमरुल्ला कमलिहिं भरज । १६. राति १७. पेल्ले न १८. धामसूरी १९. रामडउ २०. हाराविय
[७२]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90