Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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२५.
२८क.
अह कमलमही ३-८७
अह णे हिअएण हसइ मारुय-तणओ ३-८७ २५क.
अह पेच्छइ रहुतणओ ४-४४७
'सेतुवन्ध २-१ (पूर्वार्धनी आरंभनी १२ मात्रा) अह मोहो पर-गण-लहुअयाइ ३-८७
अहयं कय-प्पणामो ३-१०५ २८. अहवायं कय-कज्जो ३-७३ .
अहो अच्छरिअं १-७ 'रत्नावली, त्रीजा अंकमां ११ मा पद्य पछी वासवदत्तानी उक्तिमां ) अंकोल्ल-तेल्ल-तप्पं १-२०० अंगे चिअ न पहुप्पइ ४-६३
अंतावेई १-४ ३२. अंतेउरे रमिउमागओ राया ३.१३६
अंतो वीसंभ-निवेसिआणं १-६० आउंटणं १-१७७
आउंटणाए (आवश्यक सूत्र, प्रतिक्रमणाध्ययन २-२०) ३ ४क. ३४क.
आभासइ रयणीअरे ४-४४७
_ 'सेतबन्ध ११-३४ (पाठ. 'आहासइ अ णिसिअरे : पूर्वार्धनी आरंभनी १२ मात्रा) आम बहला वणोली २--१७७.
गा० ५७८ (प्रथम दल, आरंभनी १२ मात्रा) आरण्ण कंजरोव्व वेलनो १-६६
___ 'सेतुबन्ध ८.५९ आलेठ्ठअं १-२४ आहिआई १-४४
गा. २४ (अंतिम ७ मात्रा. पाठांतरो-आहिजाईए,
आहियाइए, अहिजाइए) इअ जंपिआवसाणे १-९१ इअराइं जाण लहुअक्खराइं पाअंतिमिल्ल सहिआण ३-१३४
_ 'वृत्तजातिसमुच्चय १-१३ (गाथार्नु पूर्व दल) इअ विअसिअ-कुसुमसरो १-९१ इअ विंझ-गुहा-निलयाए १-४२ __'गरुडवहों-३३८ (पूर्व दलनी आरंभनी १३ मात्रा)
[२८]
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