Book Title: Anusandhan 1993 00 SrNo 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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तप्त अने शीतल वस्तु वच्चे मेळाप क्याथी होय ? नायिका उतावळी, पण नायकनो स्नेह मंद.
(२). सिहे. ८-४-३९५(१)नो पाठ, अर्थ सिहे. ८-४-३९५(१)मा, सं. तक्ष ना छोल्ल एवा आदेश माटे नीचे उदाहरण आपलं छे (बीजी आवृत्तिमा आपेल पाठ अने अनुवाद सुधारवानो छे) :
जिवँ जिवँ तिक्खालेवि किर, जइ ससि छोल्लिज्जंतु । तो जइ गोरिहे मुह-कमलि, सरिसिम का-वि लहंतु ॥
'गमे तेम करीने, मानो के, चंद्रने वधु चकचकतो करवामां आवत तो ते कदाच आ गोरीना मखकमळ साथे किंचित् समानता प्राप्त करत.
रत्नप्रभसूरिकृत 'उपदेशमाला-दोघट्टी-वृत्ति (ई.स. ११८२)मां जिनशासननी उज्ज्वळता दर्शावतं विशेषण छोल्लिय-छण-मय-लंछण-च्छाय चकचकित करेला (कलंक घसी काढेला) पूनमना चंद्रनी कान्तिवाळं वपरायं छे (पृ. १११, पद्य ४१).
(३). सिहे. ८-४-४२२ (२)नो पाठ, अर्थ सिहे. ८-४-४२२ (२) मां, झकट (खरेखर तो संकट)ना घंघल एवा आदेश माटे नीचेन उदाहरण आपेलुं छे :
जिवँ स-पुरिस ति घंघलइँ, जिवँ नई तिवँ वलण.ई। जिवँ डुंगर तिवँ कोट्टर, हिआ विसूरइ काइँ ॥
रत्नप्रभसूरिकृत उपदेशमाला-दोघट्टी-वृत्ति (इ.स. १९८२)मां ते ज (थोडा पाठांतरथी) आपलं छे (पृ. ९८, पा ५१) :
जहिं सु--पुरिस तहिं घंघलई, जहिं नइ तहिं वलणाई। जहिं डुगर तहि खोहरई, सुयण विसूरहि काई ।।
अहीं खोहरई पाठ (कोट्टरई ने बदले) शंकास्पद लागे छे. प्राकृतमा खोहर शब्द मळतो नथी. हिंदीमा खोह (गुज. खो) छे खरो, ज्यारे गुज. मां कोतर (तकार साथे) तो मळे ज छे.
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