Book Title: Angakaradi Laghu Bruhad Vishayanukramau Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar SansthaPage 14
________________ लघुक्रमः॥ भगवतीज्ञाताधर्म कथाङ्गयोः ९८० । ॥१२॥ ८४२ एकत्रिंशत्तमं शतम् ३१ ९५० | १ उद्देशः। ८५७ (९६७) | प्रशस्तिः । ९८१ ८४४ द्वात्रिंशत्तमं शतम् ३२ ९५१ | ८६६ चत्वारिंशच्छतान्तानि ४० ९७५ | ॥ इति श्रीभगवतीसूत्रस्य लघु८५० त्रयस्त्रिंशत्तमं शतम् ३३ ९५४ ८६७ एकचत्वारिंशत्तमं शतम् ४१ ९७८ विषयानुक्रमः॥ ८५५ चतुर्विंशत्तमं शतम् ३४ ९६४ ८६९-११४७ भगवतीपदभावादिमा८६० पञ्चत्रिंशत्तमं शतम् ३५ नादिकम् । ॥ अथ ज्ञाताधर्मकथाङ्गस्य लघुविषयानुक्रमः ॥ ॥ सूत्राणि १६५ सूत्रगाथा ४६ ॥ ३६-३७ उत्क्षिप्तज्ञातम् १ ७७ | ९६ चन्द्रज्ञातम् १० १७१ | १५३ पुण्डरीकज्ञातम् १९ २४६ ४९ सङ्घाटकज्ञातम् २ ९० ९७ दावद्रवज्ञातम् ११ १७३ । ॥ प्रथमः श्रुतस्कन्धः ॥१॥ all ५६ अण्डकज्ञातम् ३ ९६ / ९९ उदकज्ञातम् १२ | १६५-५६, द्वितीयश्रुतस्कन्धे ५७ कूर्मज्ञातम् ४ १०१-३२ दर्दुरज्ञातम् १३ वर्गदशकम् ॥ २५४ ६७ शेलकज्ञातम् ५ ११० तेतलिज्ञातम् १४ १९२ ६८ तुम्बकज्ञातम् ६ ॥ द्वितीयः श्रुतस्कन्धः ॥ | १११ नन्दिफलज्ञातम् १५ १९५ ६९ रोहिणीज्ञातम् ७ १२० | १३७ अपरकङ्काज्ञातम् १६ २२७ ॥ इति ज्ञातधर्मकथाङ्गस्य लघु८४-१५, मल्लीज्ञातम् ८ | १४१-५२७ अश्वज्ञातम् १७ २३५ विषयानुक्रमः॥ ९५-३१ माकन्दीवज्ञातम् ९ १७१ । १४६ सुसुमाज्ञातम् १८ २४२ ॥१२॥Page Navigation
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