Book Title: Anekanta hai Tisra Netra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ १० १०. जगत् में जो है, वह सप्रतिपक्ष है ----- • ऋतुचक्र चलता है । • प्रकाश और अन्धकार है। • शरीर में ज्ञान - केन्द्र और काम-केन्द्र हैं । • ज्ञान और अज्ञान का युगल है 1 • सुख और दुःख का युगल है । • शक्ति और अशक्ति का युगल है । ११. उत्पत्ति और विनाश • साठ खरब कोशिकाएं हैं। • प्रति सेकेंड पांच करोड़ कोशिकाएं नष्ट होती हैं । • प्रति सेकेंड पांच करोड़ नई कोशिकाएं पैदा होती हैं । Jain Education International अनेकान्त है तीसरा नेत्र For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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