Book Title: Agam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 10
________________ अध्ययन : १, उद्देशक: १२९ मू. (ॐ नमो कोट्ठबुद्धीणंॐ नमो पयानुरारीणं ॐ नमो संभिन्नसोईणं ॐ नमोखीरासवलद्धीणं ॐ नमोसब्बोसहिलद्धीणंॐ नमोअक्खीणमहानसलद्धीणंॐ नमो भगवओअरहओमहइमहावीर वद्धमाणस्स धम्मतित्थंकरस्स ॐ नमो सव्वधम्मतित्थंकराणं ॐ नमो सव्वसिद्धाणं ॐ नमो सव्यसाहूणं ॐ नमो भगवतो मइनाणस्स, ॐ नमो भगवओ सुयनाणस्स, ॐ नमो भगवओ ओहिनाणस्सॐ नमो भगवओमनपज्जवनाणस्स ॐ नमो भगवओ केवलनाणस्स नमो भगवतीए सुयदेवयाए सिज्झउ मे सुयाहिवा विजा ॐ नमो भगवओ ॐ नमो वं ॐ नमो ॐ नमो आ औ अभिवत्ती लक्खणं सम्मईसणं ॐ नमो अट्ठारससीलंगसहस्साहिद्वियस्स नीसंगनिन्नियाण नीसल्लनिभय-सल्लगत्तण सरण्ण सव्वदुक्ख-निम्महण-परम-निव्वुइकरस्स णं पवयणस्स परम पवित्तुत्तमस्सेति ।। मू. (५२) एसा विजा सिद्धतिएहिं अक्खरेहिं लिखिया एसा य सिद्धतिया लीवी अमुणियसमयसभावाणं सुयधरेहिणं न पन्नवेब्वा तह य कुसीलाणंच॥ ___ इमाए पवर-विजाए सव्वहा उ अत्तानगं। अहिमंतेऊण सोवेजा खंतो दंतो जिइंदिओ। नवरं सुहासुहं सम्मं सिविणगं समवधारए। जंतत्य सिविएगे पासे तारिसगं तंतहा भवे ।। जइणं सुंदरगं पासे सिमिणगं तो इमं महा। परमत्थ-तत्त-सारत्थं सल्लुद्धरणं सुणेत्तुणं ।। मू. (५६) देज्जा आलोयणं सुद्धं अट्ठ-मय-ट्ठाण-विरहिओ। रंजेंतो धम्मतित्थयरे सिद्धे लोगग्ग-संठिए। मू. (५७) आलोएत्ताण नीसल्लं सामन्त्रेण पुणो विय। वंदित्ता चेइए साहू विहि-पुव्वेण खमावए । मू. (५८) खामेत्ता पाव-सल्लस्स निम्मूलुद्धरणं पुणो। करेजा विहि-पुवेणं रंजेंतो ससुरासुरंजगं॥ मू. (५९) एवं होऊण नीसल्लो सब्व-भावेण पुनरवि । विहि-पुव्वं चेइए वंदे खामे साहम्मिए तहा ।। मू. (६०) नवरंजेन समं वुत्थो जेहिं सद्धिं पविहरिओ। खर-फरुसं चोइओ जेहिं सयं वा जो य चोइओ॥ भू. (६१) जो विय कञ्जमकज्जे वा भणिओ खर-फरुस-निट्ठरं । पडिभणियं जेन वी किंचि सो जइ जीवइ जईमओ ।। खामेयव्वो सव्व-भावेणंजीवंतो जत्थ चिट्ठइ। तत्थ गंतूण विनएन मओ वी साहुसिक्खयं ॥ मू. (६३) एवं खामण-मरिसामर्ण काउं तिहुयणस्स वि भावओ। सुद्धो मन-वइ-काएहिं एवं घोसेज निच्छिओ॥ 123191 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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