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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
का दर्शन, गंध और उसकी बातचीत भी साधु को ललचाकर नीचा दिखानेवाली है । इसलिए आधाकर्मी आहार खानेवाले साधु के साथ रहना भी न कल्पे । उन पर चोरपल्ली का दृष्टांत। वसंतपुर नगर में अरिमर्दन राजा राज करे । उनकी प्रियदर्शना रानी है । वसंतपुर नगर के पास में थोड़ी दूर भीम नाम की पल्ली आई हुई है । कुछ भील जाति के चोर रहते है और कुछ वणिक रहते है । भील लोग पास के गाँव में जाकर लूटमार करे, लोगों को परेशान करे, ताकतवर होने से किसी सामंत राजा या मांडलिक राजा उन्हें पकड़ नहीं शकते । दिन ब दिन भील लोगों का त्रास बढ़ने लगा इसलिए मांडलिक राजा ने अरिमर्दन राजा को यह हकीकत बताई । यह सुनकर अरिमर्दन राजा कोपायमान हुआ कईं सुभट आदि सामग्री सज्ज करके भील लोगों की पल्ली के पास आ पहुँचे । भील को पता चलते ही, वो भी आए । दोनों के बीच तुमुल युद्ध हुआ । उसमें कुछ भील मर गए, कुछ भील भाग गए । राजा ने पूरी पल्ली को घेर लिया और सबको कैद किया वहाँ रहनेवाले वणिक ने सोचा कि, हम चोर नहीं है, इसलिए राजा हमको कुछ नहीं करेंगे । ऐसा सोचकर उन्होंने नासभाग नहीं की लेकिन वहीं रहे । लेकिन राजा के हुकूम से सैनिक ने उन सबको कैद किया और सबको राजा के पास हाजिर किया । वणिक ने कहा कि हम वणिक है लेकिन चोर नहीं है । राजा ने कहा कि, तुम भले ही चोर नहीं हो लेकिन तुम चोर से भी ज्यादा शिक्षा के लायक हो, क्योंकि हमारे अपराधी ऐसे भील लोगों के साथ रहे हो ।' ऐसा कहकर सबको सजा दी । ऐसे साधु भी आधाकर्मी आहार खानेवाले के साथ रहे तो उसे भी दोष लगता है । इसलिए आधाकर्मी आहार खाते हो ऐसे साधु के साथ नहीं रहना चाहिए ।
___ अनुमोदना - आधाकर्मी आहार खानेवाले की प्रशंसा करना । यह पुन्यशाली है । अच्छा-अच्छा मिलता है और हररोज अच्छा खाते है । या किसी साधु ऐसा बोल कि, 'हमें कभी भी इच्छित आहार नहीं मिलता, जब कि इन्हें तो हमेशा इच्छित आहार मिलता है, वो भी पूरा, आदरपूर्वक, समय पर और मौसम के उचित मिलता है, इसलिए ये सुख से जीते है, सुखी है ।' इस प्रकार आधाकर्मी आहार करनेवाले की प्रशंसा करने से अनुमोदना का दोष लगता है । किसी साधु आधाकर्मी आहार खाते हो उसे देखकर कोइ उनकी प्रशंसा करे कि, 'धन्य है, ये सुख से जीते है ।' जब कि दुसरे कहे कि, "धिक्कार है इन्हें कि, शास्त्र में निषेध किए गए आहार को खाते है ।' जो साधु अनुमोदना करते है उन साधुओ को अनुमोदना का दोष लगता है, वो सम्बन्धी कर्म बाँधते है । जब कि दुसरों को वो दोष नहीं लगता ।
प्रतिसेवना दोष में प्रतिश्रवणा - संवास और अनुमोदना चार दोष लगे, प्रतिश्रवणा में संवास और अनुमोदना के साथ तीन दोष लगे । संवास दोष में संवास और अनुमोदना दो दोष लगे । अनुमोदना दोष में एक अनुमोदना दोष लगे । इसलिए साधु ने इन चार दोष में से किसी दोष न लगे उसकी देखभाल रखे ।
आधाकर्म किसके जैसा है ? आधाकर्मी आहार वमेल भोजन विष्टा, मदिरा और गाय के माँस जैसा है । आधाकर्मी आहार जिस पात्र में लाए हो या रखा हो उस पात्र का गोबर आदि से घिसकर तीन बार पानी से धोकर सूखाने के बाद, उसमें दुसरा शुद्ध आहार लेना कल्पे। साधु ने असंयम का त्याग किया है, जब कि आधाकर्मी आहार असंयमकारी है, इसलिए वमेल चाहे जितना भी सुन्दर हो लेकिन नहीं खाते । और फिर तिल का आँटा, श्रीफल, आदि फल विष्टा में या अशुचि में गिर जाए तो उसमें विष्टा या अशुचि गिर जाए