Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 11
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 230
________________ पिंडनियुक्ति-६०४ २२९ दुसरी चतुर्भंगी सचित्त से सचित्त बँका हुआ । अचित्त से सचित्त ढंका हुआ सचित्त से अचित्त बँका हुआ और अचित्त से अचित्त ढंका हुआ । तीसरी चतुर्भगी - मिश्र से मिश्र इँका हुआ । मिश्र से अचित्त इँका हुआ, अचित्त से मिश्र इँका हुआ, अचित्त से अचित्त इँका हआ । निक्षिप्त की प्रकार सचित्त पृथ्वीकायादि के द्वारा सचित्त पृथ्वीकायादि के वैंके हुए ३६ भाँगा । मिश्र पृथ्वीकायादि से सचित्त मिश्र पृथ्वीकायादि वैंके हुए ३६ भाँगा । मिश्र पृथ्वीकायादि से मिश्र पृथ्वीकायादि वैंके हुए ३६ भाँगा । कुल १४४ भाँगा । तीन चतुर्भंगी के होकर ४३२ भाँगा ढंके हुए । पुनः इन हरएक में अनन्तर और परम्पर ऐसे दो प्रकार है । सचित्त पृथ्वीकाय से सचित्त मंड़क आदि वैंके हुए वो अनन्तर ढंके हुए । सचित्त पृथ्वीकाय से कलाड़ी आदि हो और उसमें सचित्त चीज ही वो परम्पर वैंके हुए कहलाते है । उसी प्रकार सचित्त पानी से लड्डू आदि ढंके हुए हो तो सचित्त अपकाय अनन्तर ढंके हुए और लड्डू किसी बरतन आदि में रखे हो और वो बरतन आदि पानी से इँका हो तो वो परम्पर वैंका हुआ कहलाता है । इस प्रकार सभी भाँगा में समजना । ट्रॅक हए में १. भारी - वजनदार और २. हलका ऐसे दो प्रकार होते है । अचित्त पृथ्वीकायादि भारी से ढूंका हुआ । अचित्त पृथ्वीकायादि भारी हलके से ऎका हुआ । अचित्त पृथ्वीकायादि हलका भारी से इँका हुआ अचित्त पृथ्वीकायादि हलका हलके से ढंका हुआ । इन हर एक में पहले और तीसरे भाँगा का न कल्पे, दुसरे और चौथे भाँगा का कल्पे । सचित्त और मिश्र में चारों भाँगा का न कल्पे । भारी चीज उठाने से या रखने से लगना आदि की और जीव विराधना की संभावना रही है, इसलिए ऐसा हँका हुआ हो उसे उठाकर देने लगे तो वो साधु को लेना न कल्पे । [६०५-६१३] साधु को देने के लिए अनुचित सचित्त अगर सचित्त वस्तु जो भाजन में रही हो वो भाजन में से वो अनुचित्त चीज दुसरी सचित्त आदि चीज में या दुसरे भाजन में डालकर वो खाली किए गए भाजन से साधु को दुसरा जो कुछ योग्य अशन आदि दिया जाए वो अशनआदि संहयतदोषवाला माना जाता है । इसमें भी निक्षिप्त की प्रकार चतुभंगी और भाँगा बनते है । सचित्त, अचित्त और मिश्र चीज दुसरे में बदलकर दी जाए, तो संहृत दोषवाला कहा जाता है । यहाँ डालने को संहरण कहते है । इसमें सचित्त मिश्र और अचित्त की, सचित्त एवं मिश्र और अचित्त उन पदों की तीन चतुर्भगी होती है । उसमें हर एक के पहले तीन भाँगा में न कल्पे, चौथे में किसी में कल्पे, किसी में न कल्पे । निक्षिप्त की प्रकार इसमें थी ४३२ भेद बने, उसे अनन्तर और परम्पर भेद मानना । चीज बदलने में जिसमें डालना है, वो और जो चीज डालनी है वो ऐसे दोनों के चार भाँगा इस प्रकार होते है । सूखी चीज सूखे में डालना । सूखी चीज आई चीज में, आर्द्र चीज सूखे में, आर्द्र चीज आर्द्र में डालना । इन हर एक में चार-चार भाँगा होते है । कुल सोलह भाँगा होते है । थोड़ी सूखी चीजे थोड़े सूखे में बदलना, थोड़ी सूखी चीज ज्यादा सूखे में बदलना, ज्यादा सूखी चीज थोड़े सूखे में बदलना, ज्यादा सूखी चीज ज्यादा सूखे में बदलना, थोड़ी सूखी चीजे थोड़े आर्द्र में बदलना, थोड़ी सूखी चीज ज्यादा आर्द्र में बदलना, ज्यादा सूखी चीज थोड़े आर्द्र में बदलना, ज्यादा सूखी चीज ज्यादा आर्द्र में बदलना, थोड़ी आर्द्र चीज थोड़े सूखे में डालना, थोड़ी आर्द्र

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