Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 16 ) [ 433 जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं याहितेति वदेजा 10 / धातईसंडे दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, तहेव धातईसंडे णं दीवे बारस चंदा पभासेंसु वा 3, बारस सूरिया तवेंसु वा 3, तिरिण छत्तीसा णक्खत्तसता जोग्रं जोएंसु वा 3, एगं छप्परणं महग्गहसहस्सं चारं चरिंसु वा 3,11 / अट्ठव सतसहस्सा तिरिण सहस्साई सत्त य सयाई / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीयो॥१॥ सोभं सोभेसु वा 3,12 / धातईसंडपरिरयो ईताल दसुत्तरा सतसहस्सा / णव य सता एगट्ठा किंचिविसेसेण परिहीणा // 1 // चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तसता य तिगिण छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पराणं धातईसंडे // 2 // अट्ठव सतसहस्सा तिरिण सहस्साई सत्त य सताइ / धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं // 3 // 13 / ता धायईसंडं णं दीवं कालोयणे णामं समुद्दे वट्ट वलयाकारसंठाणसंठिते जाव णो विसमबकवालसंठाणसंठिते 14 / ता कालोयणे णं समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा ?, ता कालोयणे णं समुद्दे अट्ठ जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते एकाणउतिं जोयणसयसहस्साई सत्तरं च सहस्साई छच पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा 15 / ता कालोयणे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, ता कालोयणे. समुद्दे बातालीसं चंदा पभासेंसु वा 3 बायालीसं सूरिया तवेंसु वा 3, एकारस बावत्तरा णक्खत्तसता जोयं जोइंसु वा 3, तिनि सहस्सा छच्च छन्नउया महगहसया चारं चरिसु वा 3, अट्ठावीसं च सहस्साई बारस सयसहस्साइं नव य सयाई पराणासा तारागणकोडिकोडीयो सोभं सोभेसु वा सोहंति वा सोभिस्संति वा 16 / “एकाणउई सतराई सयसहस्साई परिरतो तस्स / अहियाई छच्च पंचुत्तराई कालोदधिवरस्स // 1 // बातालीसं चंदा बातालीसं च दिणकरा दित्ता / कालोदधिमि एते चरंति संबद्धलेसागा // 2 // णक्खत्तसहस्सं एगमेव छाव

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