Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 47. / ... - श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः होत्था 2 / तीसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे 3 / तस्स णं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नामं देवी होत्था, सुकुमाला 4 / तते णं सा महापउमा देवी अन्नदा कयाई तंसि तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नामं दारते, जाब सिज्झिहिति, नवरं ईसाणे कप्पे उववायो उकोसट्टि ईयो 5 / तं एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पडिसियाणं दोचस्स अज्झयणस्स अयम? पराणते त्ति बेमि 6 // सूत्रं 60 // इति द्वितीय मध्ययनम् // 2-2 // एवं सेसावि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा. 1 / मातातो सरिसनामायो 2 / कालादीणं दसराहं पुत्ता प्राणुपुव्वीए. दोराहं च पंच चत्तारि, तिराहं तिराहं च होंति तिन्नेव / दोराहं च दोगिण वासा, सेणियनत्तूण परियातो॥१॥ उववातो पाणुपुव्वीते, पढमो सोहम्मे, बितितो ईसाणे, ततितो सणंकुमारे, चउत्थो माहिंदे, पंचमश्रो बंभलोए, छट्ठो लंतए सत्तमयो महासुक्के, अट्ठमयो सहस्सारे, नवमयो पाणते, दसमयो अच्चुए। सब्वत्थ उक्कोसठिई भाणियब्वा, महाविदेहे सिद्धे 3 // सूत्रं 61 // 10 // कप्पवडिसियायो समत्तायो / वितितो वग्गो दस अज्झयणा // / बीओ वग्गो समत्तो // 2 // // अथ पुष्पिकानामकस्ततीयो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उबंगाणं दोच्चस्स कप्पवडिसियाणं अयमढे पन्नत्ते, तच्चस्स णं भंते वग्गस्स उवंगाणं पुष्फियाणं के अट्ट पराणते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं तच्चस्स वग्गस्स पुफियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-"चंदे 1 सूरे 2 सुक्के 3 बहुपुत्तिय 4 पुन्नमाणिभद्दे 5.6 य / दत्ते 7 सिवे 8 बलेया 1 प्रणाढिए 10 चेव बोधवे // 1 // // सूत्रं६२ // जइ णं भंते -समणेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झ

Page Navigation
1 ... 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532