Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 472 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणो बहुई वासाइं सामनपरियागं पाउणति 2 श्रद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता विराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा चंदवडिंसए विमाणे उबवाते सभाते देवसणिज्जसि देवदूसंतरिए चंदे जोइसिंदत्ताए उववन्ने 1 / तते णं से चंदे जोइसिंदे जोइसिराया अहुणोवन्ने समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए, सरीरपजत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, सासोसासपजत्तीए भासा(मण)पजत्तीए 2 // सूत्रं 66 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता ? गोयमा ! पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं 1 / एवं खलु गोयमा ! चंदस्स जाव जोतिसरन्नो सा दिव्या देविड्डी 2 / चंदे णं भंते ! जोइसिंदे जोइसिराया तायो देवलोगात्रों थाउक्खएणं चइत्ता कहिं गच्छिहिति 2 ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिजिहिति 3 / एवं खलु जंबू समणेणं निक्खेवो 4 // सूत्रं 67 // 1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव पुफियाणं पढमस्स अज्झयणस्स जाव अयमढे पन्नते, दोचस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं समेणेणं भगवता जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं, गुणसिलए चेइए, सेणिए. राया, समोसरणं, जहा चंदो तहा सूरोऽवि श्रागयो जाव नट्टविहि उवदंसित्ता पडिगतो 1 / पुव्वभवपुच्छा, सावत्थी नगरी, सुपति? नाम गाहावई होत्था, अड्डे, जहेव अंगती जाव विहरति, पासो समोसदो, जहा अंगती तहेव पव्वइए 2 / तहेव विराहियसामन्ने जाव महाविदेहे वासे सिझहिति जाव अंतं काहिति, खलु जंबू ! समणेणं निक्खेवयो 3 // सूत्रं 68 // 2 // - जइणं भंते ! समणेणं भगवता जाव संपत्तेणं उक्खेवतो भाणिय वो, रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 सुक्के महग्गहे सुकवडिंसए विमाणे सुक्कसि

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