Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 498
________________ श्रीनिरयावलिका सूत्रं :: पुष्पिका वर्गः 3 / / [ 471 यणस्स पुफियाणं समोणं जाव संपत्तणं के श्र? पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, तेणं कालेणं 2 सामी समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जाय विहरति 2 / इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवं विउलेणं श्रोहिणा श्राभोएमाणे 2 पासति, पासित्ता समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभे पाभियोगं देवं सदावित्ता जाव सुरिंदाभिगमणजोगं करेत्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 3 / सूसरा घंटा, जाव विउव्वणा, नवरं (जाणविमाणं) जोयणसहस्सविच्छिन्नं श्रद्धतेवट्टि जोयणसमूसियं महिंदज्झतो पणुवीसं जोयणमूसितो सेसं जहा सूरियाभस्स जाव अागतो नट्टविही तहेव पडिगतो 4 // सूत्रं 63 // भंते ति भगवं गोयमे समणं भगवं भंते पुच्छा कूडागारसालासरीरं अणुपविट्ठा पुव्वभवो, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 सावत्थी नाम नयरी होत्था, कोट्ठए चेइए, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगती नाम गाहावती होत्था, अड्डे जाव अपरिभूते 1 / तते णं से अंगती गाहावती सावत्थीए नयरीए बहूणं नगरनिगम-सेट्टिसत्थ-वाहाणं जहा आणंदो 2 // सूत्रं 64 // तेणं कालेणं 2 पासे णं अरहा पुरिसादाणीए श्रादिकरे जहा महावीरो नवुस्सेहे सोलसेहिं समणसाहस्सीहिं अटुतीसा जाव कोढ़ते समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तते णं से अंगती गाहावती इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हढे जहा कत्तियो सेट्ठी तहा निग्गच्छति जाव पज्जुवासति, धम्मं सोचा निसम्म जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुबे ठावेमि 2 / तते णं अहं देवाणुप्पियाणं जाव पब्वयामि, जहा गंगदत्तो तहा पवतिते जाव गुत्तबंभयारी 3 // सूत्रं 65 // तते णं से अंगती अणगारे पासस्स अरहतो तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइ-माइयाइं एकारस अंगाई अहिजति 2

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