Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका-वर्गः 3 ] [ 47 ग्गहं अभिगिणहति जत्थेव णं श्रम्हं जलंसि वा एवं थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नसि वा पञ्चतंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलिज वा पवडिज वा नो खलु मे कप्पति पच्चुट्टित्तए त्ति कटु अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहति, उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहपत्थाणं (महपस्थाणं) पत्थिए से सोमिले माहणरिसी पुवावरराहकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागते, असोगवरपायवस्स अहे कढिणसंकाइयं ठवेति 2 वेदि वड्डइ 2 उवले. वणसंमजणं करेति 2 दब्भकलसहत्थगते जेणेव गंगा महानई जहा सिवोजाव गंगातो महानईश्रो पच्चुत्तरइ, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 दम्भेहि य कुसेहि य वालुयाए वेदि रतेति, रतित्ता सरगं करेति 2 जाव बलि वइस्सदेवं करेति 2 कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति तुसिणीए संचिट्ठति 4 / सू० 75 // तते णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देबे अंतियं पाउन्भूते 1 / तते णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासि-हं भो सोमिलमाहणा ! पच्वइया दुपवइतं ते 2 / तते णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चं पि तच्चं पि एयमट्ट नो अाढाति नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठति 3 / तते णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा यणाटाइजमाणे जामेव दिसि पाउन्भूते तामेव जाव पडिगते 4 // सू० 76 // तते णं से सोमिले कल्लं जाव जलंते वागलवत्यनियत्थे कढिणसंकाइयं गहियग्गिहोत्तभंडोवकरणे कठमुद्दाए मुहं बंधति 2 उत्तराभिमुहे संपत्थिते 1 / तते णं से सोमिले बितियदिवसम्मि पुवावरराहकालसमयंसि जेणेव सत्तिवन्नो अहे कढिणसंकाइयं ठवेति 2 वेतिं वड्ढति 2 जहा असोगवरपायवे जाव अग्गि हुणति, कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति, तुसिणीए संचिट्ठति 2 / तते णं तस्स सोमिलस्स पुब्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउन्भूए 3 / तते णं से देवे अंतलिक्खपडिवन्ने जहा असोगवरपायवे जाव पडिगते 4 // सू० 77 // तते णं से सोमिले कल्लं

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